इस्लामाबाद, । चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीइसी) पर पाकिस्तान संसदीय समिति की यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है। पाकिस्तान सीनेट की विशेष समिति ने कहा है कि चीन ने सीपीइसी की फंड़िंग वर्ष
2017 से बंद किया हुआ है। समिति ने कहा है कि सीपीआइसी की फंड़िंग बंद होने के कारण पाकिस्तान में कई प्रोजेक्ट अधर में लटके पड़े हैं। चीन द्वारा फंड़िंग बंद किए जाने के बाद पाकिस्तान के उस सपने पर पानी फिर गया है, जिसको चीन ने मालामाल होने का सपना दिखाया था। इसका असर चीन और पाकिस्तान के संबंधों पर भी पड़ सकता है। इस तरह ग्वादर के रास्ते भारत को घेरने की पाकिस्तानी मंशा को तगड़ा झटका लगा है। समिति ने यह रिपोर्ट इमरान खान सरकार को सौंप दिया है। सीनेट समिति के अध्यक्ष डॉ सिकंदर मंदरू ने रोष जताते हुए कहा कि आखिर मास्टर प्लान कब लागू होगा। योजना मंत्रालय के अधिकारियों ने समिति को बताया कि ग्वादर स्मार्ट पोर्ट सिटी मास्टर प्लान को चार मिलियन डॉलर के अनुदान के साथ पूरा किया जाना था। इस योजना के लिए 359 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया गया है। मास्टर प्लान में परियोजनाएं अभी तक शुरू नहीं हुई हैं। एक पाकिस्तान सांसद कबीर अहमद शाही ने कहा कि ग्वादर में कंटीले तारों को मानव अधिकारों का सरासर उल्लंघन है। उधर, ग्वादर के स्थानीय लोगों ने कंटीले तारों की घेराबंदी का विरोध किया है। शाही ने इस परियोजना पर तंज कसते हुए कहा कि इसकी शुरुआत ऐसे की गई है जैसे एक टेंट के बाहर किसी चौकीदार को बैठा दिया गया हो।
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