खोजी एनसीआर साहून खांन नूंह मौजूदा नगीना थाने के ठीक सामने प्रचीन दो मंजिला भवन और उस के प्रांगण में एक कुआं प्याऊ कि शक्ल में मौजूद है जो इस वक्त रख रखाव ना होने के कारण खण्डहर में तबदील होता
जर आ रहा है।समाज सेवी साबिर कासमी ने कहा कि 90 के दशक में इसी भवन में पहले नगीना थाना इसी भवन में होता था बाद में मौजूदा थाना भवन का सरकार ने निर्माण कराया था इतिहासकार सद्दीक अहमद मेव साबिर कासमी ने इस भवन का दौरा किया।इस अवसर पर भवन कि बाबत इतिहास कार सद्दीक अहमद मेव ने बताया कि इस भवन का बड़ा ऐतिहासिक महत्व और दर्जा है।भवन के सामने उत्तर कि दिशा में एक बड़ा और खूबसूरत चोडाई में कुआ है जो पुराने जमाने में इस भवन के रहने वालों की पानी की जरूरत पुरी करने के लिए बनवाया था। सद्दीक अहमद मेव ने इतिहास के हवाले से बताया कि यह भवन प्राचीन समय में फिरोजपुर झिरका रियासत के नवाब शम्शुद्दीन का मेहमान खाना (गेस्ट हाऊस)होता था,जहाँ वह अपने यूरोपियन मेहमानों को पुर तकल्लूफ पकवानों कि दावतें खिलाता था। मशहूर अंग्रेज अफसर विलियम फ्रैजर कई बार नवाब शम्शुद्दीन का मेहमान रह चुका था तथा नवाब साहब के अपने पिता नवाब अहमद बख्श के समय से ही उसके साथ घरेलु रिश्ते थे। नवाब शम्शुद्दीन उन्हें चाचा(अंकल) कहते थे फिरोजपुर झिरका रियासत के समय नगीना क्षेत्र नवाब शम्शुद्दीन की शिकारगाह था।अक्सर अंग्रेज अधिकारी यहाँ शिकार खेलने के लिए आते थे और नवाब शम्शुद्दीन के मेहमान होते थे।नवाब साहब न केवल उनके शिकार का प्रबन्ध करते थे बल्कि उनके खाने-पीने और आराम का भी प्रबन्ध कर मौसम के लिहाज से गर्मी सर्दी के अनूसार आराम कराते थे भवन कि दुसरी मजिंल पर एक पुख्ता झोंपड़ी आज भी बनी नजर आती जिस पर 90 के दशक तक छान हुआ करती थी ऐसा प्रतीत होता है नवाब शमशूददीन के शाहाना ठाट बाट का यह भवन आज भी पुरी तरह दिल कश मंजर और अद्भूत नजारा पैश कर रहा है।इतिहास के खंगालने से महसूस होता है कि शायद इसी शिकार के दौरान करीम खाँ मेव भी नवाब शमशूददीन साहब और उनके मेहमानों के साथ रहता था। यही कारण था कि करीम खाँ अंग्रेज अफसर विलियम फ्रैजर को अच्छी तरह पहचानता था।
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