वाशिंगटन, । आव्रजन प्रणाली में लचीलापन और व्यवस्था बहाल करने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का रुख बेहद साफ है। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में इस संबंध म
ं जिन कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए गए हैं, वे पिछले चार वर्षों की विभाजनकारी, अमानवीय और अनैतिक नीतियों को ठीक करने की शुरुआत है। दरअसल, प्रवक्ता का यह बयान एक प्रभावशाली आव्रजन की वकालत करने वाले भारतीय मूल के अमेरिकियों के एक समूह के आग्रह के बाद सामने आया है। इस समूह ने बाइडन प्रशासन से कहा था कि वह भारत में जन्मे किसी भी व्यक्ति को एच1बी वर्क वीजा तब तक नहीं दे जब तक कि ग्रीन कार्ड या स्थायी कानूनी निवास पर भेदभावपूर्ण नीति खत्म नहीं हो जाए। बता दें कि एच1बी वीजा एक गैर आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विशेषज्ञता वाले पेशेवरों को काम पर रखने की इजाजत देता है। अधिकांश भारतीय आइटी प्रोफेशनल इस वीजा के आधार पर अमेरिका में नौकरी करते हैं। इमिग्रेशन वॉयस नामक संस्था के प्रेसिडेंट अमन कपूर का कहना है कि अमेरिका में पहले से मौजूद भारतीयों को भेदभावपूर्ण ग्रीन कार्ड के चलते स्थायी निवास का दर्जा प्राप्त करने के लिए दशकों इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में अगर ज्यादा से ज्यादा एच1बी वीजा जारी किए गए तो यह समस्या और बड़ी हो जाएगी। इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए।
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