गुरु के बिना जीवन अपूर्ण: आचार्य ज्ञान पुष्पेंद्र शर्मा फिरोजपुर झिरका: प्राणी को जीवन में अच्छे बुरे का ज्ञान गुरु ही कराता है । मां प्राणी की प्रथम गुरु होती है । जो बच्चे को बालपन से ही ज्
ान रूपी संस्कार देने के साथ-साथ अच्छे-बुरे के महत्व के बारे में भी बताती है। उक्त बातें जैन मुनि आचार्य 108 श्री ज्ञान भूषण जी महाराज रत्नाकर ने जैन मंदिर नगीना के परिसर में आहार ग्रहण करने के पश्चात भक्त जनों को संबोधित करते हुए कही । उन्होंने कहा कि गुरु के बिना जीवन हमेशा अपूर्ण रहता है। गुरु ही व्यक्ति को बाहरी व आध्यात्मिक ज्ञान देकर व्यक्ति को पूर्ण करता है। इसलिए सदैव गुरुओं का आदर,सत्कार, व मान सम्मान करना चाहिए। गुरु अपने सभी शिष्यों को हमेशा एक साथ समान शिक्षा प्रदान करता है लेकिन वह शिष्य पर निर्भर करता है कि वो गुरु के द्वारा गई शिक्षा को कितनी तेजी से व ध्यान से ग्रहण करता है। आचार्य श्री ने अहिंसा पर बल देते हुए कहा कि अहिंसा के पथ पर चलकर प्राणी मात्र सच्चा सुख व शांति प्राप्त कर सकता है। मनुष्य को अपने हृदय में हमेशा दया भाव रखना चाहिए। प्राणी मात्र के प्रति मैत्री भाव रखना चाहिए। हमेशा दीन दुखियों की सेवा करनी चाहिए । जियो और जीने दो के सिद्धांत को अपनाकर अहिंसा परमो धर्म का अनुसरण करना चाहिए।आपस में एक दूसरे के प्रति कभी भी वैरभाव व भेदभाव नहीं रखना चाहिए। इस अवसर पर दीदी भारती जी, ब्रह्मचारी गजेंद्र भैया समाजसेवी व पूर्व युवाध्यक्ष रजत जैन ,राकेश जैन ,सुधीर जैन,रेखा जैन,सुनील जैन, अनिल जैन, वीणा जैन, महक जैन, सविता जैन ,मीना जैन ,शीला जैन,,शुभ जैन कमला जैन आदि उपस्थित रहे।
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