नई दिल्ली, । कृषि कानूनों के विरोधियों के समर्थन में भारत के खिलाफ दुष्प्रचार की तस्वीर तब साफ हुई जब पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग की ओर से इससे जुड़ा एक टूलकिट ट्वीट किया गया। इसके साथ
ग्लोबल फामर्स स्ट्राइक-फर्स्ट वेब’ शीर्षक से एक लेख का लिंक भी जुड़ा है। यह जाहिर हो रहा है कि भारत की छवि खराब करने के मकसद से यह टूलकिट तैयार की गई है। किसी को भी जानकर हैरानी हो सकती है कि इस टूलकिट में बताया गया है कि भले ही सरकार इन कानूनों को वापस ले ले, लेकिन हमें प्रदर्शन को खत्म नहीं करना है। इसे लंबे समय तक जारी रखना है। यही नहीं, देश के गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर हुए उपद्रव की भूमिका कई दिन पहले रची जाने के प्रमाण भी इस टूलकिट में मिलते हैं। पूरे विरोध प्रदर्शन को लंबे समय तक ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने और तमाम रणनीतियों को बताता यह टूलकिट भारत विरोध का एक पूरा दस्तावेज है। पेश है एक नजर: टूलकिट के पहले पेज पर पूछा गया है कि क्या आप मानव इतिहास के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बनना चाहेंगे? कृषि कानूनों के विरोध में कैसे और क्या करना है, इसके बारे में इस दस्तावेज के कई पेज पर पूरा विवरण दिया गया है। यूजर्स से कहा गया है कि वे ट्विटर पर चार और पांच फरवरी को सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाएं। फिर इनके पक्ष में पांच और छह फरवरी को फोटो और वीडियो संदेश पोस्ट करें। 21 से 26 फरवरी के दौरान भी इसी तरह के कदम उठाने का आह्वान किया गया है। अपने जनप्रतिनिधियों से फोन या ईमेल के जरिये संपर्क करें और उनसे कहें कि वे प्रदर्शनकारियों के हित में कदम उठाएं और उनके बारे में आवाज उठाएं। 13 फरवरी को भारतीय दूतावास, मीडिया हाउस या स्थानीय सरकार के दफ्तरों के समीप विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए उकसाया गया है। टूलकिट में 26 जनवरी के दिन का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया कि उस दिन प्रदर्शनकारियों के पक्ष में दुनियाभर के पर्यावरण और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी प्रदर्शन करें। इससे यह जाहिर है कि यह देश के आन-बान और शान के प्रतीक लाल किले पर मचे उपद्रव की साजिश काफी पहले रची जा चुकी थी। यूजर प्रदर्शनकारियों के समर्थन में संदेश देने के लिए वीडियो रिकॉर्ड कर साझा करें। या अपने शहर, कस्बे और गांव में तख्ती पर एकजुटता के संदेश के साथ अपनी तस्वीर खींचकर पोस्ट करें। प्रदर्शन स्थलों (सिंघु बार्डर और टीकरी बार्डर) को दिखाने वाले वीडियो और फोटो को एकत्र करने और इन्हें इंटरनेट मीडिया पर साझा करने के लिए भी कहा गया है। प्रदर्शनकारियों के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाने की बात कही गई है। इसमें ¨हसा की निंदा करने के साथ ही भारत सरकार से यह मांग की जाए कि वह असहमति रखने वालों को शांत नहीं करे, बल्कि उनकी बातों को सुने। टूलकिट में दिग्गज उद्योगपतियों मुकेश अंबानी और गौतम अदाणी की कंपनियों के उत्पादों के बहिष्कार करने की अपील भी की गई है, क्योंकि वे मोदी सरकार के साथ काम कर रहे हैं। यूजर्स को पीएम मोदी, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और शशि थरूर समेत सत्ता पक्ष और विपक्षी नेताओं के इंटरनेट मीडिया हैंडल को फालो करने को कहा गया है। अगर कोई यूजर कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर ट्वीट कर रहा है तो उसे कौन सा हैशटैग लगाना है, इसके बारे में भी टूलकिट में ब्योरा दिया गया है। ‘डिजिटल स्ट्राइक’ और ‘आस्क इंडिया ह्वाई’ जैसे हैशटैग बताए गए हैं। सभी लोग पीएम मोदी और कृषि मंत्री तोमर के साथ ही दूसरे देशों के शासनाध्यक्षों और वल्र्ड बैंक, आइएमएफ और डब्ल्यूटीओ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को भी टैग करें। इससे भारत सरकार पर दबाव बनेगा। भारत के मामले में कई ब्रिटिश सांसदों की गहरी रुचि है। इसलिए उनसे कहा जा रहा है कि वे कृषि कानून विरोधियों का समर्थन करें। सभी लोग प्रदर्शनकारियों के समर्थन में ग्रेटा और रिहाना जैसी हस्तियों की ओर से इस विरोध प्रदर्शन के समर्थन में किए जा रहे ट्वीट को सपोर्ट करें। टूलकिट के पीछे किसका हाथ प्रारंभिक जांच में टूलकिट के पीछे खालिस्तान समर्थक एमओ धालीवाल का नाम सामने आ रहा है। धालीवाल कनाडा के वैंकूवर स्थित डिजिटल ब्रां¨डग क्रिएटिव एजेंसी स्काईराकेट का निदेशक बताया जा रहा है। वह खालिस्तान समर्थक समूह पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का सह-संस्थापक भी है। इस फाउंडेशन ने किसान आंदोलन में खुद को सबसे ज्यादा सक्रिय बताया है। इसका ‘आस्क इंडिया ह्वाई’ होम पेज भी राष्ट्र विरोधी सामग्री से भरा पड़ा है। इस पेज के साथ ऐसे लिंक हैं, जो खालिस्तान समर्थित पेजों से जुड़े हैं। इंटरनेट मीडिया पर धालीवाल की प्रोफाइल से पता चला कि वह यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रेजर वैली से पढ़ा-लिखा है। ट्वीट को किया डिलीट स्वीडन की 18 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा ने इस ट्वीट को कुछ देर बाद ही डिलीट कर दिया था, लेकिन भारत के कई यूजर्स ने पहले ही इस पोस्ट के स्क्रीनशॉट ले लिए थे। अब यह स्क्रीनशॉट भी वायरल हो चुका है। इसी से भारत के खिलाफ विदेशी साजिश बेनकाब हो रही है। बेबुनियाद आरोपों की भरमार टूलकिट में कई पेजों का एक दस्तावेज है। इसमें बेबुनियाद आरोपों की भरमार भी है। यह आरोप लगाया गया है कि मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर भारत का बड़ा खराब इतिहास रहा है। इतना ही नहीं भारतीय लोकतंत्र के बारे में अपमानजनक बातें भी हैं। साथ यह भी आरोप है कि वंचित तबके के प्रति शासन का रवैया बेहद क्रूर है।दस्तावेज में निराधार कहा गया है कि भारत लोकतंत्र से पीछे हट रहा है। इसलिए इस देश के किसानों और दूसरे नागरिकों पर वैश्विक समुदाय को ध्यान देना चाहिए। दुनिया के ध्यान देने से सरकार प्रायोजित ¨हसा को रोका जा सकता है। क्या है टूलकिट दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जो आंदोलन होते हैं चाहे वे ब्लैक लाइव्स मैटर हो या दूसरा कोई आंदोलन, इस टूलकिट में आंदोलन में किए जाने वाले एक्शन की लिस्ट बनाई जाती है और इसका वितरण आंदोलनकारियों में होता है। इसमें इंटरनेट मीडिया पर रणनीति से लेकर सामूहिक प्रदर्शन की जानकारी होती है। इसका असर यह होता है कि एक ही वक्त पर प्रदर्शनकारियों की मौजूदगी दर्ज होती है। यह सब सुनियोजित ढंग से किया जाता है।
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