कुछ साल पहले तक कैंसर को लाइलाज रोग माना जाता था, लेकिन हाल ही के कुछ सालों में ही कैंसर के उपचार की दिशा में क्रांतिकारी रिसर्च हुई है और अब अगर समय रहते कैंसर की पहचान कर ली जाए तो उसका उपचार कि
या जाना काफी हद तक पॉसिबल है। कैंसर के संबंध में यह समझ लेना बेहद जरूरी है कि यह बीमारी किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है। तो सेहत के प्रति कभी भी लापरवाही न बरतें। विश्व कैंसर दिवस का इतिहास विश्व कैंसर दिवस सबसे पहले 1993 में स्विट्ज़रलैंड में UICC के द्वारा मनाया गया था। जिसमें कुछ अन्य प्रमुख कैंसर सोसाइटी, ट्रीटमेंट सेंटर, पेशेंट ग्रुप और रिसर्च इंस्टिट्यूट ने भी इसको आयोजित करने में मदद की थी। ऐसा बताया जाता है कि उस समय तकरीबन 12.7 मिलियन लोग कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। जिनमें से हर साल तकरीबन 7 मिलियन लोगों अपनी जान गवां देते थे। क्यों मनाया जाता है विश्व कैंसर दिवस कैंसर के बारे में लोगों को जागरूक करने और इसके लक्षण और बचाव के बारे में जानकारी देने के मकसद से विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो आज भी इसे छूने से फैलने वाली बीमारी मानते हैं तो उन्हें ही जागरूक करना है जिससे कैंसर के मरीजों को समाज में अलग बर्ताव का सामना न करना पड़े। साथ ही जो इस बीमारी से जूझ रहे हैं उन्हें मोटीवेट करने के लिए भी यह दिन मनाया जाता है। कैंसर दिवस का थीम इस साल वर्ल्ड कैंसर डे की थीम है "मैं हूं और मैं रहूंगा" (“I am and I will”) है। ये थीम साल 2019 से 2021 तक मतलब 3 साल के लिए रखी गयी है जो इस साल भी कायम है। सबसे पहले विश्व कैंसर दिवस वर्ष 1993 में जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) के द्वारा मनाया गया था।
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