सुभाष कोहली। कालका। केंद्र सरकार का साल 2021-22 के लिए पेश किया गया बजट निराशाजनक रहा है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक महिला होने के बावजूद महंगाई के इस दौर में महिलाओं की परेशानियों
को समझ नहीं पाई। यह कहना है मिशन एकता समिति की महासचिव कृष्णा राणा का। राणा का कहना है कि पहले कोरोना महामारी से आम जनता परेशान थी, तो अब बजट जनता को महंगाई से मार देगा। इस बजट में आम जनता, कर्मचारियों व मिडिल क्लास को कुछ नहीं मिला है। इस बजट के अनुसार जहां एक तरफ मोबाइल, गाड़ियां, सोलर इन्वर्टर, चार्जर, हेडफोन, पेट्रोल-डीजल जैसी वस्तुएं महंगी होंगी, तो वहीं उद्योगपतियों व बड़े कारोबारियों को फायदा होगा। जबकि देश का मध्यम वर्ग कोरोना महामारी के बाद आज पूरी तरह से आर्थिक मंदी का शिकार है। आम जनता को उम्मीद थी कि सरकार आय-कर छूट की सीमा बढ़ाने, ठेका प्रथा व निजीकरण की नीतियों पर रोक लगाने के कदम उठाएगी, परंतु इस तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया। राणा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए बताया कि बजट में रेल, बैंक, बीमा, रक्षा और स्टील सब कुछ सरकार बेचने जा रही है, सब कुछ सेल पर डाल दिया है। ये केवल पूंजीपतियों का बजट है, यह 100 परसेंट विजनलेस बजट है। राणा का यह भी कहना है कि बजट में 75 साल से अधिक आयु के करदाताओं को आयकर रिटर्न भरने की छूट, आंखों में धूल झोंकने जैसा है, क्योंकि इस उम्र के आयकर दाताओं की कुल संख्या नाममात्र ही है।
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