जिला उपायुक्त व सिविल सर्जन के मार्गदर्शन में दिलाई गई पंचायतों में शपथ कुष्ठ रोग की दवाईयां अस्पतालों में मिलती है मुफ्त नूंह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बलिदान दिवस से शुरू हुआ कुष्ठ र
ोग पखवाड़ा 13 फरवरी तक जिले में चलाया जाएगा। इस पखवाड़े का मकसद लोगों को कुष्ठ रोग के लक्षणों और इलाज के बारे में सही जानकारी देना है। शनिवार को जिला उपायुक्त धीरेंद्र खडखटा और सिविल सर्जन डाॅ. सुरेंद्र यादव के मार्गदर्शन में जिले के सभी वैलनेस सेंटरों, पीएचसी, सीएचसी, ग्राम पंचायतों, स्कूल और कॉलेजों में शपथ दिलाई गई है। इस अभियान में पहले दिन हजारों ग्रामीणों और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने बताया कि गांधी जी बेहद दयालु प्रवृति के व्यक्ति थे। उन्हें समाज के सभी वर्गों के लोगों से बराबर स्नेह था। खासकर रोगियों के प्रति उनके मन में बेहद प्यार और दुलार था। गांधी जी छूआछूत के खिलाफ थे। उनका मानना था कि छूआछूत से समाज में असमानता फैलती है। राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए सफल प्रयास किया। इसके चलते उनकी पुण्यतिथि पर विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है। नूंह के सिविल सर्जन डॉक्टर सुरेंद्र यादव ने बताया कि यह एक जीर्ण संक्रमण रोग है। इससे त्वचा, श्वसन तंत्र, आंखें और तंत्रिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के चलते होती है। चमड़ी पर दागों में सुन्नता, जलन, चुभन, दर्द का एहसास कम होना या बिलकुल न होना कुष्ठ रोग की पहचान है। इसके अलावा हाथ, पैरों और आंखों में कमजोरी, नसों में सूजन, मोटापन या दर्द, चेहरे, शरीर और कान पर गांठें छाले और घाव जिससे दर्द न हो रहा हो के अलावा हाथ और पैरों में विकृति हो, ऐसी दशा कुष्ठ रोग में होती है। उप सिविल सर्जन एवं नोडल अधिकारी डॉ. प्रवीण राज तंवर ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी-अधिकारी, सरपंच, स्कूलों के मुख्याध्यापक और प्राचार्य मिलकर कुष्ठ रोग के विरुद्ध आखिरी युद्ध अभियान से जुड़े हुए हैं। सभी का पूर्ण सहयोग मिल रहा है। दर्जनों स्कूल और कॉलेजों में कुष्ठ रोग के लक्षण और उपचार पर गोष्ठी और शपथ दिलाई है। उन्होंने बताया कि इस पखवाड़े के दौरान जिलेभर के 419 गांवों में कार्यक्रम किए जाएंगे। पहले दिन जिले की सभी ग्राम पंचायतों में सरपंचों द्वारा शपथ दिलाई गई। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कुष्ठ रोगियों के कल्याण के लिए कार्य किए। आज उनके सपने को न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया साकार कर रही है। उन्हीं के बलिदान दिवस को विश्व कुष्ठ रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है। उप सिविल सर्जन डॉ. प्रवीण राज तंवर ने बताया कि जिले के सभी वैलनेस सेंटर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल, ग्राम पंचायतों, स्कूल और कॉलेजों में कुष्ठ के विरुद्ध आखिरी युद्ध की प्रतिज्ञा ली गई। नूंह जिले में केवल दर्जनभर कुष्ठ रोगियों का इलाज विभिन्न सरकारी अस्पतालों से चल रहा है। कुष्ठ रोग की एमडीटी की दवाएं है बिल्कुल मुफ्त में मरीजों को दी जाती है। इसकी जांच जिला नागरिक अस्पताल मांडीखेड़ा, मेडिकल कॉलेज नल्हड और सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मुक्त होती है।
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