कुरुक्षेत्र,(सुदेश गोयल):कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ जय भगवान गोयल को पदम श्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। कुरुक्षेत्र के सेक्टर 3 में रहने वाले जय भगवा
न गोयल मूल रूप से यमुनानगर के छोटे से नगर छछरौली में जन्मे हैं। 89 वर्षीय डॉ जय भगवान गोयल को आजीवन साहित्य साधना के सम्मान स्वरूप पदम श्री अलंकार से विभूषित किया गया है । उनको यह पुरस्कार साहित्य जगत के लिए गौरव एवं हर्ष का विषय है। उन्होंने देश के उत्कृष्ट विश्वविद्यालयों की श्रेणी में शीर्ष स्थान प्राप्त कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में 37 वर्ष अध्यापन शोध निर्देशन एवं स्वतंत्र लेखन किया है। डॉ गोयल ने लगभग 30 पुस्तकें 200 शोध लेखन निबंध, रेखाचित्र, रिपोर्ताज साक्षात्कार, भेंटवार्ता, आकाशवाणी व दूरदर्शन पर परिचर्चा आदि का योगदान हिंदी साहित्य को दिया। हिंदी साहित्य के इतिहास को नवीन दिशा प्रदान करने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉक्टर गोयल ने गुरुमुखी लिपि में रचित हिंदी साहित्य की विशाल संपदा का उसे अन्वेषण कर उसे हिंदी से जोड़ने का अद्वितीय ऐतिहासिक कार्य किया। इसके साथ ही हिंदी गद्य के विकास कि प्रमाण सहित नई अवधारणा प्रस्तुत कर हिंदी साहित्य के रीति काल में पुनर्मूल्यांकन का मार्ग प्रशस्त किया तथा शोध के नए आयाम स्थापित किए। उन्होंने लगभग 60,000 छंदों के महाकाव्य गुरु प्रताप सूरज तथा उसके रचयिता महाकवि भाई संतोख सिंह का परिचय पहली बार हिंदी जगत से कराया। साथ ही गुरु शोभा, महिमा प्रकाश, गुरु बिलास, गुरु नानक विजय जैसे अनेक ग्रंथों का हिंदी में रूपांतरण कर प्रकाशित कराया। डॉ गोयल ने सिख गुरुओं के सांस्कृतिक, सामाजिक व धार्मिक पुनर्जागरण तथा धर्म रक्षा हेतु आत्म बलिदान का विशद विवेचन अपनी पुस्तको में करते हुए उनके मानवतावाद व मानवतावाद की सशक्त ढंग से विवेचना की है। हिंदू व सिखों को समीप लाने व एकता स्थापित करने का भरपूर प्रयास किया है। किसी भी प्रकार के विज्ञापन से दूर एकांत साहित्य साधक डॉ गोयल पद्म श्री सम्मान से अलंकृत हुए हैं। इस अवसर पर महाराजा अग्रसेन शिक्षा सम्मान योजना के सदस्य विनय गुप्ता, राजेश सिंगला, कपिल मित्तल अशोक गर्ग, प्रमोद बंसल, अजय गुप्ता, रमेश गर्ग, सुशील चंद्र अग्रवाल जी ने डॉ जय भगवान गोयल को पुष्प दे देकर किया सम्मानित।
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