साहून खांन नूंह हरियाणा कांग्रेस विधायक दल उप नेता व नूंह विधायक चौधरी आफताब अहमद ने रविवार को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की बैठक ली और सामूहिक निर्णय हुआ कि 26 जनवरी को नूंह से ट्रेक्टर परेड ह
गी जो दिल्ली तक पहुंचेगी। चौधरी आफताब अहमद ने कहा कि तीन काले कानूनों के खिलाफ वो किसानों के संघर्ष में साथ खड़े हैं। 100 किसानों की शहादत पर बीजेपी व उसके सहयोगी दलों की खामौशी शर्मनाक है। सीएलपी उप नेता आफताब अहमद ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए कहा कि वो कृषि कानूनों के एक भी फायदे नहीं गिना सकते हैं। जो मेवात के बीजेपी नेता इन बिलों के फायदे गिना रहे हैं वो जनता व किसान से धौखा कर रहे हैं और सरकार से अपने निजी स्वार्थ के लिए सौदा कर रहे हैं। किसानों के पुतले फूंकने वालों को मेवात कभी माफ नहीं करेगी। बीजेपी दिन प्रतिदिन किसान को कभी आतंकवादी तो कभी खालिस्तानी, पाकिस्तानी बोल कर बदनाम करना चाह रही है। नूंह विधायक चौ आफताब अहमद ने कहा कि पहला कानून सरकारी कृषि मंडियों को खत्म कर देगा, जैसे ही मंडियां खत्म होगी, ठीक उसी के साथ एमएसपी का सिद्धांत भी ख़त्म हो जाएगा क्योंकि मंडियां ही एमएसपी को सुनिश्चित करती हैं। दूसरा कानून किसानों को विवाद की स्थिति में सिविल कोर्ट जाने से रोक रहा है, कांट्रैक्ट फार्मिंग के कानून की वजह से देश में भूमिहीन किसानों के बहुत बड़े वर्ग के जीवन पर गहरा संकट आने वाला है, क्यूंकि देश में 14.43 करोड़ किसान भूमिहीन हैं। तीसरा कानून खाद्य पदार्थों की महंगाई का दस्तावेज है, इस कानून के जरिए निजी क्षेत्र को असीमित भंडारण की छूट दी जा रही है, सरकार को पता नहीं चलेगा कि किसके पास कितना स्टॉक है और कहां है? यह जमाखोरी और कालाबाजारी को कानूनी मान्यता देने जैसा है। सीएलपी उप नेता आफताब अहमद ने तंज कसते हुए कहा कि जो नेता आज कृषि कानूनों के फायदे गिना रहे हैं कुछ दिन पहले वो एनआरसी के भी फायदे गिना रहे थे। ऐसे नेता उपवास नहीं बल्कि किसान का उपहास उड़ा रहे हैं, मजाक उड़ा रहे हैं। आज पेट्रोल डीजल गैस के दाम आसमान छू रहे हैं, किसान कर्ज से परेशान हैं, महंगाई दर रिकॉर्ड स्तर पर है और ऊपर से बीजेपी किसानों का दमन कर रही है। पीसीसी सदस्य चौधरी महताब अहमद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी व शीर्ष नेता इस आंदोलन में किसान भाई बहनों के साथ खड़े हैं। चाहे हथीन में किसान प्रदर्शन हो, या पलवल में, या दिल्ली संघू बोर्डर हो या शाहजहांपुर बॉर्डर सभी जगह चौधरी आफताब अहमद किसान भाइयों के साथ खड़े थे।
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