मन की उलझी हुई ग्रंथियों को खोलती है गीता : स्वामी ज्ञानानंद महाराज

Khoji NCR
2021-01-22 06:25:40

फतेहाबाद: जिस तरह गर्म पानी पीने से पेट का मल साफ होता है, उसी तरह सत्संग सुनने व आसक्ति भाव अपनाने से अंतर्मन की मैल साफ होती है। यह बात अरोड़वंश धर्मशाला में चल रहे तीन दिवसीय सत्संग समारोह के

ूसरे सत्र को संबोधित करते हुए गीता मुनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने फरमाए। उन्होंने कहा हमें अपनों के दुखी होने से जो सुख मिलता है न यह राग द्वेष की वजह से है। हमें आध्यात्मिक उन्नति के लिए मन के भाव बदलने होंगे। भाव तब ही बदलेंगे जब हम गीता जी का अध्ययन करेंगे या सत्संग करेंगे। गीता अनमोल ग्रंथ है। गीता मन की उलझी हुई ग्रंथियों को खोलती है। स्वामी बोले कि गीता का हर अध्याय वैज्ञानिक है, वैचारिक है व व्यावहारिक है। गीता समुंद्र की तरह है, इसकी कोई थाह नहीं पा सकता। आप जितने बार गीता का अध्ययन करोगे, आपको हर बार नया अनुभव होगा। स्वामी जी ने फरमाया कि हमारा जन्म सिर्फ खाना खाने और दुकान पर जाने के लिए नहीं हुआ है। मनुष्य जन्म परमात्मा से जुडऩे का एक मात्र साधन है, मनुष्य के अलावा किसी जीव में विवेक नहीं है। हम उम्र के आखिरी पड़ाव में आकर समझते हैं कि इतने वर्ष दौलत और संपन्नता जुटाने में बिता दिए जो अब किसी काम की नहीं है। स्वामी ने कहा कि अच्छे भाव सकारात्मक ऊर्जा को जन्म देते हैं। लंगर की दाल घर की दाल से इसलिए बेहतर बनती है क्योंकि उसको बनाते समय भाव अच्छा होता है। हिदू परंपरा में खाना खाने से पहले भोग लगाने की परंपरा है। कुछ लोग इसका उपहास भी उड़ाते हैं लेकिन सभी परंपराओं के पीछे संस्कार व वैज्ञानिक कारण हैं। हम भोग लगाकर भगवान के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं। हम बच्चों को भी संस्कार देते हैं कि जो मिला है, वह सब भगवान का ही तो है। इससे हमसे कृतज्ञता का भाव उत्पन्न होता है। स्वामी जी ने हिदू धर्म की परंपराओं की तारीफ करते हुए उदाहरण देते हुए समझाया कि जब औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को जेल में बंद कर दिया और पानी भी नहीं दिया, उस वक्त शाहजहां बोले, धन्य है हिदू धर्म, जहां मरने के बाद भी पितृों को जल चढ़ाया जाता है। स्वामी ने उपस्थिति को आह्वान किया कि वह संकीर्ण सोच से बाहर निकले। विश्व कल्याण की बात सोचें। इस अवसर पर गो सेवा आयोग के वाइस चेयरमैन विद्या सागर बाघला, भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रवीण जोड़ा, नगर परिषद चेयरमैन दर्शन नागपाल, अरोड़वंश महासभा के प्रधान मोहरी राम ग्रोवर, विजय निर्मोही, डा. सुभाष मेहता, मदन मोहन ग्रोवर, आजाद सचदेवा, विजय मैहता, महेन्द्र मुटरेजा, डा. गुलशन सेठी, शम्मी ढींगड़ा, राजेन्द्र चौधरी काका, जगदीश शर्मा, राखी मक्कड़ थे।

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