लंदन)। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शक्ल के एक गुब्बारे को ब्रिटेन के म्यूजियम में रखा जाएगा। इस गुब्बारे का पहली बार इस्तेमाल जून 2019 मं उस वक्त किया गया था जब वो
्रिटेन की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर गए थे। उस वक्त वहां पर उनके खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान इस गुब्बारे का इस्तेमाल किया गया था। इस गुब्बारे में ट्रंप का चेहरा एक रोते हुए बच्चे की तरह बनाया गया था। म्यूजियम ऑफ लंदन के डायरेक्टर का कहना है कि वो इस गुब्बारे को अपने म्यूजियम में जगह देकर उस दिन को याद के तौर पर संजो कर रखे रहना चाहते हैं। इस गुब्बारे में ट्रंप को डायपर पहने हुए एक जिद्दी बच्चे के रूप में दिखाया गया था। इसके बाद से ये गुब्बारा फ्रांस, अर्जेंटीना, आयरलैंड और डेनमार्क तक चला गया है। म्यूजियम के डायरेक्टर शैरन एमेंट ने कहा कि दुनिया के कई बड़े देशों का सफर करने के बाद अब ये गुब्बारा अपनी असली मंजिल तक पहुंच रहा है। म्यूजियम में इसको संभालकर रखा जाएगा और अब यही इसका असली और नया घर होगा। आपको बता दें कि म्यूजियम में ये गुब्बारा प्रोटेस्ट कलेक्शन का हिस्सा बनेगा। इस कलेक्शन में क्लाइमेट चेंज को लेकर हुआ विरोध के अलावा इराक में युद्ध के खिलाफ हुआ प्रदर्शन और वहां वोटिंग का आधिकार पाने के लिए महिलाओं द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन शामिल है। इस बैलून को क्राउड फंडिंग के जरिए तैयार किया गया था। विरोध प्रदर्शन करने वालों ने इसको नफरत की राजनीति के खिलाफ जंग का प्रतीक बताया था। एमेंट का कहना है कि ये गुब्बारा हमेशा इस बात की याद दिलाता रहेगा कि कैसे लंदन में राष्ट्रपति ट्रंप के विरोध में उठ खड़े हुए थे। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस विरोध प्रदर्शन के वक्त इसको ब्रिटेन में किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के खिलाफ हुआ सबसे बड़ा प्रदर्शन बताया था। ट्रंप की शक्ल का ये गुब्बारा करीब 20 फीट ऊंचा था। ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को आयोजित करने वालों में से एक अजुब फराजी ने उस वक्त कहा था कि इसके जरिए वो उन्हें उन लोगों की तरफ से साफ संदेश देना चाहते हैं कि जो उनकी राजनीति से प्रभावित हुए हैं। इस विरोध प्रदर्शन में ब्रिटेन की विपक्षी पार्टी लेबर पार्टी ने भी शिरकत की थी। ये विरोध प्रदर्शन इसलिए भी काफी सुर्खियों में आया था क्योंकि उस वक्त उन्होंने अमेरिका में कई देशों के मुस्लिम नागरिकों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस वक्ट ट्रंप समर्थकों ने इस विरोध प्रदर्शन को राष्ट्रपति ट्रंप का अपमान बताया था। इस प्रदर्शन को लंदन के तत्कालीन मेयर सादिक खान का भी समर्थन हासिल हुआ था।
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