कोरोना से इलाज की नई थेरेपी इजाद, पढ़ें- शोध में सामने आई बातें

Khoji NCR
2021-01-20 11:14:15

वाशिंगटन, । शोधकर्ताओं ने कोरोना को रोकने के लिए एक नई थेरेपी इजाद की है। यह अध्ययन न्यूरोइम्यून फार्माकोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोध के मुताबिक जब कोरोना से ग्रसित चूहे को नाक क

माध्यम से छोटा पेप्टाइड दिया गया तो उसके परिणाम सकारात्मक दिखाई दिए। पेप्टाइड से ना केवल बुखार कम हुआ बल्कि फेफड़ों की दिक्कतों में भी कमी आई। इतना ही नहीं दिल की कार्यक्षमता में सुधार के साथ ही साइटोकिन स्टॉर्म से होने वाले नुकसान को कम करने में भी कारगर साबित हुआ। बता दें कि साइटोकिन स्टॉर्म प्रतिरक्षी कोशिकाओं और उनके सक्रिय यौगिकों (साइटोकिन्स) का अति उत्पादन है जो फ्लू संक्रमण में अक्सर फेफड़ों में सक्रिय प्रतिरक्षी कोशिकाओं के बढ़ने से संबंधित होता है।़ इसके परिणामस्वरूप रोगी के फेफड़ों की सूजन एवं उसके फेफड़ों में द्रव बनने से श्वसन संकट उत्पन्न हो सकता है और वह एक सेकेंड्री बैक्टीरियल निमोनिया से ग्रसित हो सकता है। जिससे अक्सर रोगी की मौत हो जाती है। अमेरिका स्थित रश विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कालीपाद पाहन ने कहा कि इससे ना केवल हम कोरोना को रोक सकते हैं बल्कि कोरोना रोगियों को सांस लेने में तकलीफ और दिल संबंधी समस्याओं से भी बचा सकते हैं। पाहन ने कहा कि कोरोना के खिलाफ प्रभावी इलाज तैयार करने के लिए इस मैकेनिज्म को समझना जरूरी है। फिलहाल कोरोना के इलाज के लिए एंटी इंफ्लेमेटरी थेरेपी (जैसे स्टेरायड) मौजूद है, लेकिन इन उपचारों के प्रयोग से इम्मुनोसप्प्रेशन होता है। पाहन के मुताबिक चूंकि कोरोना एंजियोटेनसिन कंवर्टिग एंजाइम2 (एसीई2) को कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए बांधने का काम करता है, इसलिए हमने एसीई2 के साथ वायरस को बंधने से रोकने के लिए कोरोना के एसीई2 इंटरेक्टिंग डोमेन के अनुरूप एक हेक्सापेप्टाइड डिजाइन किया। शोध के दौरान पाया गया कि एड्स पेप्टाइड सिर्फ स्पाइक प्रोटीन द्वारा पैदा किए गए साइटोकिन्स को रोकता है, इसलिए यह इम्मुनोसप्प्रेशन की वजह नहीं बनेगा। पाहन ने कहा कि इंट्रोनेजेल उपचार के बाद एड्स पेप्टाइड ना केवल बुखार को कम करता है बल्कि फेफड़ों की भी सुरक्षा करता है।

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