तावडू, : शहर व क्षेत्र में मकर सक्रांति पर्व श्रद्धा व हर्षोल्लास से मनाया गया। वहीं शहर के वार्ड नंबर 14 में स्थित श्रीसांई बाबा की द्वारका माई मंदिर में बुधवार रात लोहडी पर्व भी श्रद्धा एवं हर
्षोल्लास से मनाया गया और प्रशाद वितरण किया गया। इस दौरान लोगों में भारी उत्साह देखने को मिला। उल्लेखलीय है कि लोहडी एंव मकर संक्राति एक दूसरे से जुडे रहने के कारण संास्कृतिक उत्सव और धार्मिक पर्व का एक अदभूत त्यौहार है। लोहडी पर्व का संबंध सूर्य से माना जाता है। लोहडी जाडे की विदाई का संकेत होता है। सूर्य देव 14 जनवरी से 14 जुलाई तक मकर राशि यानी उत्तरी गोलार्ध में रहता है। अकबर के शासन काल में दुल्ला भट्टी नामक एक लूटेरा था, जो लूट में मिले धन से गरीबों की मद्द करता था। इसलिए लोहडी के लिए लकडियां एकत्र करते समय दुल्ला भट्टी की प्रशंसा में गीत गाये जाते है। पंडित धर्मेन्द्र आचार्य ने लोहडी पूजन विधिवत कराकर कहा कि सांस्कृतिक पर्वों का संदेश एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलता जाता है। लोहडी व मकर संक्राति दोनों सास्ंकृ तिक पर्वोंे को बहुत उत्साह, धर्मनिष्ठा, आनंद व भाई चारे के साथ मनाना चाहिए, ताकि समाज में एक अच्छा संदेश जा सके। वहीं दूसरी ओर मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में शहर व क्षेत्र के मंदिरों में श्रद्धालूओं की भीड लगी रही। लोगों ने एक दूसरे को दोनों पर्वो की बधाई देकर मिठाईयंा बांटी।
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