हथीन/माथुर : सीटू के जिला प्रधान श्रीपाल सिंह भाटी, सर्व कर्मचारी संघ के प्रधान राजेश शर्मा, किसान सभा के प्रधान धर्मचंद व रिटायर कर्मचारी संघ के प्रधान बीधू सिंह ने एक संयुक्त बयान में कहा कि
करनाल के कैमला गांव में पुलिस के द्वारा किसानों पर की गई बर्बर लाठीचार्ज व वाटर कैनन की भीषण सर्दी में पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले छोड़े जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश के अन्नदाता को जो अपनी जायज मांगों का शांतिपूर्ण हल चाहता है उसके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार करके हरियाणा व केंद्र की सरकार अपनी तानाशाही व हिटलर शाही का परिचय दे रही है इसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। हरियाणा सरकार की इस बर्बरता पूर्वक कार्यवाही का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए 12 जनवरी को प्रदेश के सभी उपायुक्त कार्यालयों का घेराव किया जाएगा और यदि केंद्र व राज्य सरकार ने किसानों तथा मजदूरों की मांगों का समाधान नहीं किया तो 1 फरवरी से 14 फरवरी तक भारतीय जनता पार्टी के सभी मंत्रियों, सांसदों के आवासों का घेराव किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले आंदोलन की घोषणा 12 जनवरी को उपायुक्त कार्यालय के घेराव के समय की जाएगी। उन्होंने कहा कि पूरे देश का किसान आज स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू कराना चाहता है और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू करने का कानून बनवाना चाहता है लेकिन केंद्र सरकार 3 काले कानूनों को लागू करने पर अड़ी हुई है जो किसान के डेथ वारंट है। कर्मचारियों-मजदूरों के जो 44 श्रम कानून थे, अंग्रेजों व कांग्रेस की सरकारों से लडक़र हासिल किए थे। उनके तीन काले कानून को पास कराने के अगले दिन ही 44 कानूनों को समाप्त करके 4 बिल बना दिए जो मजदूरों को स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि मजदूर कच्चे कर्मचारियों को पक्का कराना चाहते हैं, श्रम कानूनों को सख्ती से लागू कराना चाहते हैं, न्यूनतम वेतन 24000 लागू कराना चाहते हैं, पुरानी पेंशन की स्कीम लागू कराना चाहते हैं, लेकिन इन्हें लागू न करके तरह-तरह के हथकंडे हरियाणा सरकार अपनाकर कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रही है। आशा वर्कर यूनियन की नेता रामरति चौहान, आंगनवाड़ी नेता उर्मिला रावत, मिड-डे-मील की नेता उषा देवी, चौकीदार सभा के नेता ज्ञानेंद्र ग्रामीण, सफाई कर्मचारी नेता सोनू ने आज हथीन व पलवल के सरकारी अस्पतालों सहित, पीएचसी कोट और पीएचसी नंागल जाट की परियोजना कर्मियों को संबोधित करते हुए अपनी मांगों को लागू कराने के लिए मीटिंग की। जिसमें सभी स्कीम वर्करों को पक्का किया जाए, 1 जनवरी 2020 से रुका हुआ डीए दिया जाए और सरकारी विभागों के निजीकरण की नीति को वापस लिया जाए तथा काम के 8 घंटे ही निश्चित किए जाए, जो हरियाणा सरकार 12 घंटे काम लेना चाहती है।
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