साहून खांन नूंह बड़कली चौक व नगीना की झुग्गी झोपड़ियों में बांटा सूखा राशन लॉकडाउन से मेवात आरटीआई मंच गालिब मौजी फाउंडेशन बांट रही राशन लॉकडाउन से अब तक मेवात आरटीआई मंच, गालिब मौजी खान
फाउंडेशन व महिला संगठन जागो चलो का जरूरतमंदों के लिए भोजन वितरण और सूखा राशन देने का अभियान जारी है। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद बड़कली चौक व नगीना की झुग्गी-झोपड़ी में जरूरतमंद सैकड़ों परिवारों को 15 दिन के लिए सूखा राशन वितरित किया गया। बुजुर्ग वकील कुमार, बलराम व भीमसिंह ने बताया कि बहन सबीला ने हमारी झुग्गियों में आकर हमें सुखा राशन दिया है कुछ गर्म कपड़े भी बांटे हैं। लॉकडाउन में हमारे लिए अपने घर से पकाकर भोजन खिलाया था। उन्होंने बताया कि चार महीने तक लगातार हमें एक-एक सप्ताह का सूखा राशन दिया था। हमारे सैकड़ों परिवार उसका एहसान जिंदगी भर नहीं भूल सकते है। सबीला की जिंदादिली को हम सलाम करते हैं जिन्होंने मुश्किल घड़ी में अपना घर बार छोड़कर हमें दो वक्त का भोजन ही नहीं कराया बल्कि हमें कपड़े से लेकर जूते, चप्पल, सब्जियां, दाले, दूध, चावल और आटा तक मुुुुफ्त दिया। कभी वो अपने घर से पति राजूद्दीन के साथ पूरी-सब्जी बनाकर लाती थी, कभी चावल और दाल-रोटी। पूरे लॉकडाउन में हमें चीनी, दाल, आटा, चावल, हरी सब्जियां, मसाले व सरसों का तेल अन्य खाद्य सामग्री दी थी। अभी भी वह बीच-बीच में जरूरत के हिसाब से राशन उपलब्ध करा रही है। आज भी हमें 8 किलो आटा, एक किलो चीनी, एक किलो चने की दाल, चाय की पत्ती, एक किलो नमक, मोमबत्ती व गर्म कपड़े जर्सी और रजाई वगैरा दी है। निशा, देवेंद्र, रऊफ, बिज्जी ने बताया कि आज हमारी आंखों से आंसू आ गए जब हमने बहन सबीला को अपनी झुग्गियों में देखा। वह राशन और गर्म कपड़े लेकर आई थी। सामाजिक कार्यकर्ता सबीला ने बताया कि गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद करने से मेरे दिल को सुकून मिलता है। भगवान ने हमें उनकी मदद करने के लिए ही पैदा किया है। लोगों से भी मेरी अपील है कि अपने आस-पड़ोस में ऐसे जरूरतमंदों और गरीबों की मदद करते रहें। समाजसेवी सबीला ने बताया कि लॉकडाउन में फंसे मजदूरों, राहगीरों, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीबों और जरूरतमंदों को लगातार चार महीने तक पका और सूखा भोजन नगीना, बड़कली, पिनगवां, फिरोजपुर झिरका और नूूंह केएमपी पर बांटते रहे थे। कैप्शन: बड़कली चौक-नगीना की झुग्गी-झोपड़ियों में गरीबों को राशन हुए कपड़े देती सबीला।
Comments