डी.ए.पी. खाद के विकल्प के तौर पर एन.पी.के. का इस्तेमाल करें किसान : उपनिदेशक विरेंद्र देव आर्य

Khoji NCR
2024-10-22 10:00:36

कृषि विभाग डी.ए.पी. के विकल्प के रूप में एन.पी.के. खाद को दे रहा प्राथमिकता : उपनिदेशक हथीन/माथुर : रबी सीजन के दौरान किसानों को डी.ए.पी. खाद की किल्लत नहीं झेलनी पड़े, इसके लिए कृषि विभाग ने कमर कस

ी है। कृषि विभाग ने जिला उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ के निर्देशन में एक तरफ जहां डी.ए.पी. का पर्याप्त स्टॉक बनाए रखने का रोडमैप तैयार किया है। वहीं दूसरी तरफ विभाग किसानों को डी.ए.पी. के विकल्प के तौर पर एन.पी.के. तथा एस.एस.पी. खाद का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक विरेंद्र देव आर्य ने जानकारी देते हुए बताया कि मौजूदा समय में खरीफ सीजन अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। किसान रबी सीजन की प्रमुख फसलें सरसों और गेहंू की बिजाई करने की तैयारियों में जुट गए हैं। ऐसे में डी.ए.पी. खाद की डिमांड बढ़ गई है। पलवल जिला में रबी सीजन के दौरान अक्तूबर, नवंबर व दिसंबर माह में करीब 11 हजार एम.टी. डी.ए.पी. खाद की डिमांड रहती है। उक्त डिमांड को पूरा करने के लिए एक तरफ जहां कृषि विभाग ने खाद के रैक मंगवाने की रणनीति तैयार की है। वहीं दूसरी तरफ डी.ए.पी. के विकल्प भी किसानों के सामने रखे हैं। पलवल जिला में रबी सीजन के दौरान करीब 84 से 85 हजार हैक्टेयर भूमि में गेंहू की बिजाई की जाती है। इसके अतिरिक्त 7 से 8 हजार हैक्टेयर में सरसों की फ सल उगाई जाती है। किसान धान की बिक्री करने के उपरांत खाद लेकर जा रहे हैं। मौजूदा समय में पलवल जिला में 670 एम.टी. डी.ए.पी., 976 एम.टी. एन.पी.के. तथा 1303 एम.टी. एस.एस.पी. खाद उपलब्ध है। कृषि विभाग ने डी.ए.पी. की सप्लाई को बढ़ाया है। दूसरी तरफ रासायनिक खाद की खपत को कम करने के लिए एक तरफ जहां कृषि विभाग किसानों को प्राकृतिक खेती पद्धति के गुर सिखा रहा है, वहीं दूसरी तरफ रबी सीजन में इस बार नैनो यूरिया व नैनो डी.ए.पी. के इस्तेमाल के प्रति भी किसानों को जागरूक कर रहा है। कृषि विभाग द्वारा ड्रोन के माध्यम से भी किसानों को खाद का छिडक़ाव करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक विरेंद्र देव आर्य ने बताया की रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है। किसानों को खाद की किल्लत नहीं झेलनी पड़े इसके लिए विभाग कारगर कदम उठा रहा है। जिला में डी.ए.पी. खाद की कोई कमी नहीं है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे आवश्यकता से अधिक खाद का स्टॉक न करें। इसके अतिरिक्त नैनो डी.ए.पी. व एन.पी.के. खाद को भी विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिला में डी.ए.पी. की डिमांड को कंट्रोल करने के लिए कृषि विभाग लगातार डी.ए.पी, के विकल्प भी तलाश रहा है। इसके अंतर्गत अब एन.पी.के. व एस.एस.पी. खाद को के इस्तेमाल करने को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एन.पी.के. उर्वरक मुख्य रूप से नाईट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम से बना होता है। नाईट्रोजन पौधों को तेजी से बढऩे में मदद करता है, साथ ही बीज और फलों के उत्पादन को भी बढ़ाता है और प्रकाश संश्लेषण में भी सहायता करता है। फॉस्फोरस पौधों की जड़ों को लंबा व मजबूत करता है। वहीं पोटेशियम से पौधों में कीट व बीमारियों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता आती है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे डी.ए.पी. के विकल्प के तौर पर एन.पी.के. का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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