तावडू, 26 अप्रैल (दिनेश कुमार): मन की चेतना, विचारों, भावनाओं, चिंताओं व धारणाओं के चक्र में घूमते घूमते थकावट घेर लेती है और दिन समाप्त होने के बाद रात्री आने पर वह क्षीण हो जाती है। उसे निद्रा की
वश्यकता स्ताने लगती है। यह विचार नगरपालिका पूर्व चेयरपर्सन मनीता गर्ग ने रखे। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी व बिजली कटौती के चलते मनुष्य की निद्रा पूरी नहीं हो पाती और वह व्याकुल रहता है। उन्होंने कहा कि यह भी सत्य है कि निद्रा में मन और शरीर को आराम मिलता है। निद्रा से उठने पर ताजगी चेहरे पर स्पष्ट रूप से दिखती है। उन्होंने कहा कि निद्रा में न ज्ञान होता है न अज्ञान। निद्रा में चेतना की सजगता लुप्त होने के कारण परम तत्व की अनुभूति नहीं होती है।
Comments