कभी-कभी पैदा होते हैं, यासीन-तय्यब जैसे दीदावर हजारों साल नरगिस अपनी बे-नूरी पे रोती हैं बड़ी मुश्किल से होता है, चमन में दीदावर पैदा खोजी साहून खांन गोरवाल शनिवार को यासीन-तय्यब दिवस के अवस
पर यासीन मेव डिग्री कॉलेज नूँह के प्रांगण में बाबा-ए-कौम व की बार विधायक व एम एल सी रहे मरहूम चौ० मौ० यासीन खाँ व तीन राज्यों में मंत्री रहे व हिंदुस्तान की अज़ीम शख्सियत मरहूम चौ० तय्यब हुसैन पूर्व मंत्री व सांसद को उनके बड़े सुपुत्र व हरियाणा वक्फ़ बोर्ड के प्रशासक चौधरी ज़ाकिर हुसैन व छोटे सुपुत्र चौधरी फज़ल हुसैन ने उनकी मज़ार पर पंहुचकर उन्हें ख़िराज-ए-अकीदत (श्रद्धांजलि) पेश की। ख़िराज-ए-अकीदत पेश करने के बाद दोनों मरहूमों के लिए मस्जिद में कुरान-ख़ानी हुई और उनके लिए दुआएँ हुई। हरियाणा वक्फ़ बोर्ड के प्रशासक चौ० ज़ाकिर हुसैन ने कहा कि किन्हीं कारणों से इस बार यासीन-तय्यब दिवस धूमधाम से नहीं मनाया गया। इस बार केवल बाबा-ए-कौम चौ० मो० यासीन खाँ व शान-ए-मेवात मरहूम चौ० तय्यब हुसैन को सादगी के साथ ख़िराजे अकीदत पेश की गई है और उनके लिए कुरान-खानी व दुआएँ की गई हैं। हुसैन ने कहा कि मरहूम चौ० मो० यासीन खाँ व मरहूम चौ० तय्यब हुसैन अपने राजनैतिक क्षैत्र के अलावा सामाजिक क्षेत्र में भी बहुत सक्रिय थे। उनकी एक अलग ही पहचान थी। मरहूम चौ० मो० यासीन खाँ ने दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉलेज सेंट स्टीफन से स्नातक की डिग्री ली। उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से एल एल बी की। मरहूम चौ० मो० यासीन खाँ मेवात के पहले लॉ ग्रेजुएट थे। वह सन 1926 में संयुक्त पंजाब विधानसभा में सदस्य बने तथा उसके बाद 1962 तक लगातार एम एल ए व एम एल सी रहे।1952 में वे फिरोजपुर झिरका से निर्विरोध विधायक चुने गये। मरहूम चौ० तय्यब हुसैन ने अपने राजनैतिक कैरियर में क्ई रिकॉर्ड अपने नाम किये। सन 1962 में पहली बार फिरोजपुर झिरका संयुक्त पंजाब विधानसभा के सदस्य बने तथा साढ़े पच्चीस साल की उम्र में पंजाब मंत्री मंडल में मंत्री रहकर उन्होंने रिकॉर्ड कायम किऐ। वो दो बार सांसद चुने गये। वो हिन्दुस्तान के पहले ऐसे नेता बने जिन्हैं तीन अलग राज्यों में मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। वे पंजाब,हरियाणा व राजस्थान में अलग अलग विभागों में क्ई बार मंत्री बने। चौ० मो० यासीन खाँ ने मेवात में शिक्षा की अलख जगाई और मेवात में सबसे पहला स्कूल की स्थापना की। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुऐ चौ० तय्यब हुसैन ने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत से कार्य किऐ। जिनमें सबसे प्रमुख ब्रैन मेव हाई स्कूल को यासीन मेव डिग्री कॉलेज के रुप में स्थापित किया जो आज हर साल हजारों बच्चौं को बेहतर शिक्षा उपलब्ध करा रहा है। मैंने भी अपने दादा और पिता के कदमों पर चलते हुऐ मेवात के हक़ व विकास की लड़ाई लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी और आप लोगों का प्यार इसी तरह मिलता रहा तो हमेशा आपके हक़ के लिऐ लड़ाई लड़ता ही रहूँगा। उन्होंने कहा कि विधायक बनना तो बहुत छोटी चीज है मेरे लिऐ तो सबसे बड़ा सम्मान है आप लोगों द्वारा बाँधी ग्ई 36 बिरादरी के चौधर की पगड़ी। मैं आप लोगों से वायदा करता हूँ इस पगड़ी की शान को ना तो कभी झुकने दिया है और ना ही मरते दम तक झुकने दुँगा। मेवात क्षेत्र के हक़ों के लिए हमेशा लड़ाई लड़ूँगा। उल्लेखनीय है कि मरहूम चौधरी तय्यब हुसैन की विरासत को हरियाणा में उनके बड़े सुपुत्र चौधरी ज़ाकिर हुसैन बखूबी संभाल रहे हैं और राजस्थान के कामां में उनकी सुपुत्री जाहिदा खान उनकी जिम्मेदारियों को संभाल रही हैं।
Comments