भरत जी ने श्री रामचंद्र जी की खड़ाऊ सर पर रखकर वन से किया था अयोध्या की ओर प्रस्थान चिराग गोयल, फिरोजपुर झिरका।श्री आर्य समाज मंदिर नगीना में छह दिवसीय संगीतमय रामकथा का आयोजन किया जा रहा है।
उक्त जानकारी कार्यक्रम के संयोजक महेंद्र गोयल ने देते हुए बताया की मंदिर के प्रांगण में 31 अक्टूबर से राम कथा का वाचन कथावाचक ओम प्रकाश आर्य के द्वारा किया जा रहा है। प्रातः काल घरों में यज्ञ का कार्यक्रम होता है। कथावाचक ओमप्रकाश जी ने जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा की आज के युग मे रामायण से ही पारिवारिक समस्याओं का समाधान संभव है। उनके आदर्शों को अपने जीवन में समावेश करें। आज व्यक्ति धन संपदा के लिए भाई का भाई शत्रु हो रहा है ।जो किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। उन्होंने कहा की जब श्री रामचंद्र जी को वनवास हो गया तो ,भरत ने राज स्वीकार नहीं किया था और वे वन में राम जी के पास चले गए और उनसे कहने लगें की भैया आप ही अयोध्या का राज पाठ संभाले, मुझे राज नहीं आप चाहिए। लेकिन पिता की आज्ञा पालन की बात कह कर उन्होंने भरत से कहा आप ही राज करें भरत ने भी अयोध्या पर राज करने से मना कर दिया ,आप देखें भरत जी ने भगवान राम की खड़ाऊ लेकर अपने सर पर रखकर अयोध्या की ओर वन से प्रस्थान किया। इस प्रकार का होता है भाई प्रेम क्योंकि उन्हें राज नहीं भाई चाहिए था, प्रत्येक व्यक्ति को उनसे प्रेरणा लेकर धन संप्रदा का लोभ लालच का त्याग कर, भाई को भाई के प्रति त्याग व समर्पण भाव रखना चाहिए। तभी एक आदर्श समाज की स्थापना संभव है ।महेंद्र गोयल ने बताया की आर्य समाज मंदिर नगीना में 05 नवंबर को सामूहिक पूर्ण आहुति के साथ कार्यक्रम संपन्न होगा। इस अवसर पर पदमचंद आर्य, सर्वजातीय सेवा समिति के उपाध्यक्ष रजत जैन, आर्य समाज के अध्यक्ष शिवकुमार आर्य, शिक्षाविद् महेंद्र गोयल, नंदलाल प्रजापत, नितिनदुबे, मोनू शर्मा ,मानक सैनी, भूदेवआर्य, मनोहर लाल, राजेंद्र सिंगला,सुनील आर्य,सुनील गुप्ता,शुभ जैन, आदि उपस्थित रहे।
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