होडल, डोरीलाल गोला नेशनल हाईवे गांव औरंगाबाद के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षा विभाग व स्कूल संचालकों की लापरवाही के कारण काफी अनमितताए देखने को मिली। एक और जहां स्कूल में स्कूल के
छात्रों के लिए बनाए गए खेल मैदान की सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है वहीं स्कूल में बच्चे सफाई के नाम पर फाबड़े चलाते हुए दिखाई दिए। इसके अलावा स्कूल के अध्यापक छात्रों को फर्श व बैंच पर बैठाने के बजाय धरती पर बिठाकर शिक्षा देने के नाम पर अपने मोबाइल से बात करते नजर आए। बताया जाता है कि अध्यापकों की लापरवाही के कारण पिछले वर्ष इस स्कूल का 10वी व 12वी रिजल्ट भी कमजोर रहा था। स्कूल में बच्चों को अच्छी शिक्षा ना मिल पाने के कारण उनके अभिभावक प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने का मन बना रहे हैं। एक ओर तो हरियाणा सरकार सरकारी स्कूलों में एक से एक योजनाएं व शिक्षा के नए-नए आयाम लाकर छात्र-छात्राओं को अच्छी से अच्छी शिक्षा ग्रहण करवाने के लिए प्रयासरत है वही दूसरी ओर शिक्षा विभाग व स्कूलों में तैनात अध्यापक सरकार की उन प्रयासों को पतिला दिखने में लगे हुए हैं। ऐसा ही एक मामला गांव औरंगाबाद के हाईवे स्थित सीनियर सेकेंडरी स्कूल में देखने को मिला। स्कूली बच्चों के लिए स्कूल परिसर में बनाए गए खेल के मैदान में सफाई व्यवस्था न होने के कारण बड़ी-बड़ी झाड़ियां व घास खड़ी है जो कि बच्चों की सेहत के लिए भी नुकसान दायक है। इसके अलावा स्कूल अध्यापक बच्चों को शिक्षा देने के बजाय उनके हाथों में फावड़ा देकर स्कूली मैदान में से मिट्टी उठाकर उसे दूसरी जगह डलवा रहे थे। सरकार ने सरकारी स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए बैंच उपलब्ध करवाई हुई है लेकिन इस स्कूल के अध्यापक बच्चों को मैदान में फर्श व बैंच पर बैठाने के बजाय उन्हें धरती में बिठाया हुआ था। इन सरकारी स्कूलों में तैनात अध्यापक सरकार से महीने में हजारों रुपए वेतन लेने के बावजूद भी बच्चों को शिक्षा देने के बजाय दिन भर अपने फोन पर किसी और से बदलते रहते हैं और स्कूली बच्चे क्लास को छोड़कर इधर उधर घूमकर स्कूल में टाइमपास करते है। गांव औरंगाबाद निवासी लेखराज, मुकेश, प्रमोद, राकेश ने बताया कि शिक्षा विभाग की अनदेखी के कारण उनके गांव के स्कूल में तैनात अध्यापक पूरी तरह से मनमर्जी करने में लगे हुए हैं। उनका कहना है कि पिछले वर्ष भी रिजल्ट अन्य सरकारी स्कूलों के अपेक्षा इस स्कूल का कमजोर रहा है। स्कूल के रिजल्ट को देखते हुए कुछ अभिभावकों ने तो अपने बच्चों को इस स्कूल से निकाल लिया और अगर ऐसे ही कमजोर रिजल्ट रहा तो आगे भी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल से निकाल कर प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करवाएंगे। इस मामले में जिला पार्षद संजय का कहना है की वह इस मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बातचीत करेंगे और स्कूल में अगर कोई अध्यापक बच्चों को पढ़ाई करवाने में कोताही बरतता है तो उसकी शिकायत आला अधिकारियों से कर उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
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