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From: Puspender Sharma
िकल स्टोर संचालक चला रहे किराए के लाइसेंस से मेडिकल स्टोर संवाद न्यूज़ एजेंसी फिरोजपुर झिरका । फिरोजपुर झिरका के शहर ओर ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाले ज्यादातर मेडिकल स्टोर संचालक किराए के लाइसेंस लेकर मेडिकल स्टोर चला रहे हैं। जबकि लाइसेंस धारक व्यक्ति अन्य किसी कार्य में लगे हुए हैं लेकिन विभाग के अधिकारियों के मिली भगत के चलते वर्षों से किराए के लाइसेंस लेकर मेडिकल स्टोर चला रहे संचालकों पर कोई कार्रवाई नहीं होने के चलते मेडिकल स्टोर संचालकों के हौसले बुलंद है। जबकि क्षेत्र में फार्मासिस्ट की डिग्री और डिप्लोमाधारक कमाई के लालच में अपना लाइसेंस किराए पर देकर चांदी कूट रहे हैं बल्कि कानून का उल्लंघन भी कर रहे है । लाइसेंस किसी और के नाम का और मेडिकलस्टोर को कोई और चला रहा है। लोगों में चर्चाएं है कि आठवी से 12वीं पास लोग फार्मासिस्ट का लाइसेंस किराए पर लेकर मेडिकलस्टोर चला रहे है और बगैर डाक्टर की पर्ची के जरूरतमंद को दवा बेचने से भी गुरेज नहीं कर रहे है। इसके अलावा नशीली दावों का कारोबार भी खुले रूप से चलाया जा रहा है । जैसे ही मेडिकलस्टोर पर दवा लेने वाला व्यक्ति बीमारी के लक्षण बताता है तो मेडिकलस्टोर संचालक खुद ही डाक्टर बनकर दवा थमा देता है। हाल ही में मुख्यमंत्री उडऩदस्ते की टीम द्वारा जब इलाके में छापेमारी की गई तो एक दो पकड़े भी जाते है और एक दो दिन ऐसे लोग अपनी मेडिकल स्टोर की दूकान बन्द कर फरार होने में कामयाब हो जाते । और फिर सब शांत होने के बाद दोबारा से अपने काम मे लग जाते है। गौर करने वाली बात तो यह है कि यह लोग 10 वी और 12वीं पास तक होते है और निडर होकर मेडिकल स्टोर चलाते हैं और अक्सर यह मेडिकल स्टोर संचालक खुद ही डाक्टर बनकर मरीज को दवा थमा देते हैं। जांच के दौरान सामने आया कि मेडिकलस्टोर चला रहे फार्मासिस्ट डिप्लोमा धारकों ने अपना डिप्लोमा छह से आठ हजार रुपए माह के हिसाब से किसी ओर को लाइसेंस किराए पर दिया हुआ है । फिरोजपुर झिरका देहात के गांवों में चल रहे मेडिकलस्टोरों पर नजर डाले तो सच्चाई खुद-ब-खुद सामने आ जाएगी कि कितने मेडिकलस्टोर किराए पर लाइसेंस लेकर धडल्ले से बेरोकटोक चलाए जा रहे है। इस कारोबार से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम व पहचान का खुलासा ना किए जाने की शर्त पर बताया कि बिना मेडिकल की पढ़ाई करे मेडिकल स्टोर चलाकर मोटा मुनाफा कमाने और गांव देहात की भाषा में अपने को डाक्टर कहलवाने की चाहत रखने वाले लोग डिप्लोमा और फार्मा या डिग्री ऑफ फार्माधारक से उसका लाइसेंस माहवार किराए पर तय करने के बाद लाइसेंस लेने के लिए औषधि नियंत्रण अधिकारी के कार्यालय में लाइसेंस के लिए आवेदन कराते है। खुद को प्रोपराइटर बनाकर डिप्लोमा या डिग्रीधारक से उसे अपने यहां नौकरी करने का हलफनामा भी जिसमें दिखाया जाता है कि हमारे मेडिकलस्टोर पर डिग्री अथवा डिप्लोमाधारक नौकरी करेगा और दवा बेचने का काम करेगा लेकिन यह सारा खेल कागजों का पेट भरने तक ही सिमटकर रह जाता है। जबकि लगभग दो से तीन महीना के दौरान ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा हर मेडिकल स्टोर की जांच की जाती है। सभी दस्तावेज चेक किए जाते हैं लेकिन उसके बावजूद भी मेवात क्षेत्र में ज्यादातर मेडिकल स्टोर किराए के लाइसेंस पर ही चलाई जा रहे हैं।
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