सोनीपत । कुंडली बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में भाग लेने आए दो और किसानों की मौत हो गई है। पुलिस की शुरूआती जांच में सामने आया है कि किसान बलवीर सिंह गोहाना क्षेत्र व किसान निर्भय सिंह पंजाब
े गांव लिदवा के रहने वाले हैं। पुलिस ने बताया कि सुबह को गोहाना के गांव गंगाना के रहने वाले किसान बीवीर सिंह की मौत की सूचना आई। उनके साथ के किसानों ने पुलिस को बताया कि वह शनिवार शात तक स्वस्थ्य थे, केवल थोड़ी थकान महसूस कर रहे थे। रात में खाना खाने के बाद पारकर माल के पास टैंट में सो गए थे। सुबह नहीं उठने पर उनके साथी किसानों ने जगाने का प्रयास किया तो शरीर में कोई हलचल नहीं थी। इसकी सूचना किसान आंदोलन में तैनात चिकित्सक को दी गई। चिकित्सक ने किसान को मृत घोषित कर दिया। कुछ ही देर बाद पंजाब के जिला संगरूर के गांव लिदवा निवासी किसान निर्भय सिंह की हालत खराब हो गई। उनको तत्काल सिविल अस्पताल भेजा गया, जहां पर उनको मृत घोषित कर दिया गया। उसके आधे घंटे बाद ही गोहाना के गांव गंगाना के किसान युधिष्ठर सिंह को हार्ट अटैक आ गया। उनको तत्काल सिविल अस्पताल ले जाया गया। जहां से हालत गंभीर होने के चलते उनको पीजीआइ रैफर कर दिया गया। सर्दी लगने से हृदयाघात से मौत की आशंका पुलिस को आशंका है कि इन किसानों की मौत सर्दी लगने से हृदयाघात के कारण हो सकती है। मौत के वास्तविक कारणों की जानकारी पोस्टमार्टम के बाद हो हो सकेगी। अभी तक आंदोलन में नौ किसानों की मौत हो चुकी है। सरकार भेज रही प्रस्ताव, किसान कर रहे खारिज किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इस बीच किसानों और सरकार के बीच छह दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन गतिरोध खत्म नहीं हो पाया है। अब सरकार लगातार बातचीत का प्रस्ताव भेज रही है। सरकार की ओर से बातचीत केे लिए किसान नेताओं को पांच से छह चिट्ठी लिखी जा चुकी है। किसानों की आपत्ति को पत्र के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया गया है। किसानों की आपत्तियों पर चर्चा करते हुए सरकार कानून में संशोधन का भी आश्वासन दे रही है, लेकिन किसान नेता सभी पत्र को खारिज करते हुए कानून रद्द कराने की अपनी मांग पर बरकरार हैं। कब क्या हुआ 27 नवंबर : प्रदर्शनकारी किसान कुंडली बार्डर पर पहुंचे और दिल्ली में प्रवेश का प्रयास किया, लेकिन पुलिस के झड़प और आंसू गैस के गोले दागने के बाद पीछे हटकर कुंडली की सीमा में जीटी रोड को जाम कर बैठ गए। 28 नवंबर : कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति मिल गई है। किसानों को बुराड़ी के संत निरंकारी समागम स्थल में आने को कहा गया, लेकिन किसानों ने इसे खारिज कर दिया। 29 नवंबर : केंद्र सरकार ने किसानों को एक बार फिर दिल्ली के बुराड़ी मैदान में जाने की अपील की। गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा, तय स्थान पर पहुंचने के बाद किसानों से होगी बातचीत। किसानों ने बुराड़ी के मैदान में जाने से साफ इंकार किया गया। 1 दिसंबर : कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ किसान नेताओं की बातचीत हुई, लेकिन नतीजा नहीं निकला। किसानों ने आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया। 2 दिसंबर : किसानों ने नये कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की अपील की और चेतावनी दी कि मांगें नहीं मानी गई तो दिल्ली की अन्य सड़कों को भी अवरुद्ध किय जाएगा। 3 दिसंबर : सरकार और किसान संगठनों के हुई चौथे दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। 5 दिसंबर को अगली बैठक का निर्णय लिया गया। 5 दिसंबर : किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया। केंद्र सरकार के साथ एक बार फिर वार्ता हुई जिसमें किसान नेताओं ने पिछली बैठक की बतों का बिंदुवार लिखित में जवाब मांगा। 9 दिसंबर : किसान नेताओं ने सरकार के भेजे प्रस्ताव को खारिज कर दिया। छठे दौर की वार्ता भी स्थगित हो गई। किसान नेताओं ने भाजपा के सभी मंत्रियों के घेराव का निर्णय लिया। 12 दिसंबर : किसान नेताओं ने आंदोलन को तेज करते हुए 14 दिसंबर को भूख हड़ताल का एलान किया। 17 दिसंबर : सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन पर सुनवाई। अदालत ने इस मामले में कोई आदेश जारी नहीं किया। 21 दिसंबर : आंदोलन में शामिल सभी किसान जत्थों के 11-11 नेताओं ने क्रमिश भूख हड़ताल शुरू की। 24 दिसंबर : कृषि कानूनों काे लेकर कृषि सचिव ने बातचीत के लिए भेजा प्रस्ताव। 30 दिसंबर : किसानों और सरकार के बीच छठे दौर की वार्ता हुई। सरकार ने किसानों के दो एजेंडे पर सहमति प्रदान की। शेष दो एजेंडे पर बातचीत के लिए 4 जनवरी का दिन तय किया गया है।
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