नूंह , 28 सितंबर : उपायुक्त अजय कुमार ने चिन्हित अपराध को लेकर आयोजित समीक्षात्मक बैठक में कहा कि अकसर यह देखने में आता है कि कोर्ट में केस की मजबूत पैरवी न होने के कारण अपराधी बच जाते हैं। साक्ष्
यों के अभाव और कमजोर पैरवी के कारण ये केस न्यायालय में टिक नहीं पाते। इसलिए कानूनी तकनीकी और विभिन्न प्रकार के केसों में साक्ष्यों के बचाव और उनकी सुरक्षा तथा कानूनी पहलुओं द्वारा मजबूत पैरवी संबंधित अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए। उन्होंने पुलिस को निर्देश दिए कि कोई मामला अगर आता है तो उस पर निष्पक्ष रुप से जांच की जाए, जांच के हर पहलु को बारिकी से परखा जाए। उन्होंने सनसनीखेज अपराधों पर भी समीक्षा की और पुलिस विभाग के अधिकारी से कहा कि ऐसे केसों को भी चिह्नित अपराध के तहत लिए जाए और मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और केस दर्ज करना सुनिश्चित किया जाए। इस मौके पर उपायुक्त ने पुलिस व न्यायवादी विभाग से कहा है कि वे एनडीपीएस सहित कोर्ट में चल रहे केसों पर तकनीकी पहलूओं का अध्ययन कर पैरवी करें, ताकि अपराधियों को कड़ी सजा दिलवाई जा सके। उपायुक्त ने अधिकारियों के साथ चिन्हित अपराध योजना की समीक्षा करते हुए उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बैठक में मामलों से संबंधित बचाव साक्ष्य और तकनीकी कानूनी पहलुओं बारे विचार विमर्श किया गया। उपायुक्त ने कहा कि नियमानुसार संबंधित अधिकारी चिन्हित अपराध योजना के लिए उचित कानूनी कार्रवाई अमल में लाएं। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग द्वारा चिन्हित अपराधों के गवाहों व आरटीआई एक्टीविस्ट को सहायता मुहैया करवाई जाती है, इस कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही व कौताही न बरतें। मामले जो चिन्हित अपराध योजना व आरटीआई एक्टीविस्ट के तहत आने वाले मामलों की पुलिस विभाग पूरी गहनता से जांच कर रिपोर्ट तैयार करें। ऐसे मामलों की जांच संबंधित पूरी प्रक्रिया की रिपोर्ट बारे कमेटी के समक्ष अवश्य अवगत करवाया जाए। तकनीकी पहलुओं और साक्ष्यों को पैरवी के दौरान मजबूत तरीके से रखे जाएं।
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