शिव धनुष भंजन के गड़गड़ाहट सुनकर गुरु परशुराम आग बबूला होकर मिथिला नगरी जाते हैं और समस्त राजाओं को धनुष भंजन करने पर दंडित करने के लिए कहते हैं। गुरु परशुराम की चेतावनी सुनकर दशरथ नंदन लक्ष
मण को क्रोध आता है और लक्ष्मण-परशुराम की भूमिका में नजर आए उज्जवल गोयल, कुलदीप कुमार का जमकर संवाद चलता है। वही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम दोनों को शांत करते हैं और शिव धनुष भंजन के लिए गुरु परशुराम से क्षमा याचना करते हैं। गुरु परशुराम के क्रोध को शांत करते हैं। इसी क्रम में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जयघोष के साथ ताड़का वध, धनुष यज्ञ की लीला का समापन होता है। इस मौके पर राम हर्षित सोनी, लक्ष्मण उज्जवल गोयल, राजा दशरथ अशोक शर्मा, राजा जनक सचिन मंगला, शत्रुघ्न दीपक गोयल, लड़का अंशुल गोयल, रावण पवन गर्ग, सुबाहु रॉकी, सेठ-सेठानी राजू सोनी,भगवान दास सेन, परशुराम कुलदीप कुमार, विश्वामित्र नरेश गर्ग, मास्टर द्रविड़, गुरु वशिष्ठ विजय जांगड़ा, अहिल्या संदीप सांवरिया सहित कई कलाकार रंगमंच पर प्रदर्शन करते नजर आए।
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