रिटायरमेंट एक ऐसा शब्द है जिससे हर खिलाड़ी डरता है- सुनील गावस्कर

Khoji NCR
2022-09-18 11:19:26

सुनील गावस्कर का कालम रिटायरमेंट एक ऐसा शब्द है जिससे हर खिलाड़ी डरता है। जब वह संन्यास के समय में पहुंचने लगता है तो यह शब्द उसके दिमाग में अधिक बार आने लगता है। खिलाड़ी का शरीर कुछ वर्षों तक

ही उसका साथ दे सकता है और उसके बाद युवा खिलाड़ी आपकी जगह लेने के लिए तैयार रहते हैं। खिलाड़ी जब अपने करियर के एक पड़ाव पर आ जाता है तो उससे अच्छे की संभावना और बढ़ जाती है। उस दबाव के कारण अपने पसंदीदा खेल को खेलने का आनंद भी कम होने लगता है और जब ऐसा होने लगता है तो यह संकेत खिलाड़ी को मिल जाता है कि खेल व्यक्ति के ऊपर हावी होने लगा है। जैसे-जैसे वर्ष जाने लगते हैं तो खिलाड़ी तो आगे बढ़ जाता है, लेकिन उस पर प्रदर्शन का दबाव अधिक बढ़ जाता है। रोजर फेडरर का अविश्वसनीय करियर कई वर्षों तक चला और खेल के शीर्ष पर रहने के लिए यह बहुत ही लंबा समय है। उनके शानदार फिटनेस ने उन्हें कई वर्षों तक शीर्ष पर रखा। जब उनके शरीर के विभिन्न हिस्सों में सर्जरी हुई तो उनके प्रदर्शन का स्तर भी कम हो गया। अब उन्हें वे खिलाड़ी हरा रहे थे जिनके साथ वे आधा दर्जन साल पहले ही खेले होंगे और यह कभी भी अच्छा अहसास नहीं होता है। एक बार शिखर पर पहुंचने के बाद खिलाडि़यों को अपने प्रदर्शन पर बहुत गर्व होता है और उन प्रदर्शनों में किसी भी गिरावट का मतलब है कि यह 'आर' शब्द को देखने का समय है। फेडरर को न केवल उनके शानदार खेल के लिए बल्कि कोर्ट के अंदर और बाहर खुद को संचालित करने के लिए भी याद किया जाएगा। खेल जगत से उन्हें जो प्रशंसा मिली है, वह खेल जगत पर उनके द्वारा छोड़े गए प्रभाव का प्रमाण है। उनके संन्यास की घोषणा सबसे मार्मिक और प्रेरक भाषणों में से एक है जिसे किसी ने सुना है। उनके पूरे करियर में हर एक व्यक्ति, हर एक पहलू को याद किया जा सकता है जो उनके साथ जुड़ा था और यह दिखाता है कि वह कितने शानदार इंसान हैं। उनके संन्यास का भाषण सचिन तेंदुलकर के भाषण से थोड़ा कम था जिनके भाषण से लगभग सभी भावुक हो गए थे। जब सचिन प्रस्तुति समारोह में अपना भाषण दे रहे थे तो कामेंट्री बाक्स में सभी भावुक थे और यह दिखाने के लिए काफी था कि वह क्रिकेट की दुनिया के लिए कितने मायने रखते हैं जो फिर से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलते हुए दिखाई नहीं देते। इस बीच, भारतीय खेल जगत ने नरेश कुमार के रूप में एक रत्न को खो दिया। विश्व में बहुत कम ऐसे खिलाड़ी होते हैं जिनका एक भी दुश्मन नहीं होता और नरेश उनमें से एक थे। उनके अलावा रामनाथन कृष्णन भी हैं। नरेश कुमार एक सज्जन व्यक्ति थे और उनकी पत्नी सुनीता ने कोलकाता में अपने घर में खेल-कूद के आयोजन की शानदार मेजबानी की थीं। भारतीय खेल जगत को नरेश की कमी खलेगी। ओम शांति। टेनिस जगत के लिए इस दुख की खबर के अलावा अच्छी खबरें भी थी कि जब दो युवा खिलाड़ी यूएस ओपन के चैंपियन बन गए। कार्लोस अलकराज और इगा स्वियातेक ने पुरुष और महिला सिंगल्स के खिताब जीते थे।

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