खोजी/सुभाष कोहली कालका/पिंजौर। भगवान ईश्वर प्रकृति किसी के गुलाम नहीं है कि तुम पूजा हवन अरदास जागरण पाठ करवा कर कुछ भी कर सकते हो और न ही किसी ने उन्हें खरीद रखा है। गाड़ी तेज तुम चलाओ! सबसे झग
़ा तुम करो! उल्टी सीधी चीजें तुम खाओ! और सोचो मंदिर चले जाएंगे, पाठ करवा लेंगे तो सब ठीक हो जाएगा। यदि ठीक नही होता तो कहते हो भगवान मंदिर पूजा सब झूठ है या हमें पिछले जन्म की सजा मिल रही है। तुम अपनी गलती मानने को तैयार ही नही हो! लाखों की ठगी करके सौ पचास दान करके हरिश्चंद्र बनकर घूम रहे हो। इसलिए अपने को, अपनी आदतों स्वभाव और बात करने के तरीके को सुधारो अच्छे कर्म करो तो अच्छे फल मिलने लगेंगे। अच्छा कर्म ही धर्म होता है। जब तुम कुछ ग़लत नही खाओगे पिओगे! बल्कि योग करोगे तो निरोग रहोगे! डाक्टर के पास या अस्पताल में नहीं जाना पड़ेगा। उसी प्रकार अच्छे कर्म करोगे तो भगवान, मंदिर पुजारी की जरूरत ही नही पड़ेगी। अंतरराष्ट्रीय अद्भुत ज्योतिष कार्यालय के कहने का मतलब यह है कि अगर तुम्हारे खाते में पैसे होंगे तो ऑनलाइन ही चेक पास हो जाएगा और अगर तुम्हारे खाते में पैसे ही नहीं होंगे तो चाहे तुम दिन भर बैंक में ही बैठे रहो और तुम्हारा चाचा! ताया! पापा! ही बैंक का मैनेजर क्यों न हों फिर भी पैसा नहीं मिलेगा। उसी प्रकार अच्छे काम परोपकार या भला बड़ों का सम्मान संस्कारवान न होकर सुबह शाम मंदिर में केवल घंटियां बजाते रहोगे तो भगवान किसके खाते का तुम्हे दे देगा। इसलिए अच्छे कर्म करो अच्छे आचरण करो, बुजुर्गों शास्त्रों गुरुओं की बात को मानो समझो उन बातों पर चलो फिर देखो तुम्हे दुनिया में किसी से कुछ नहीं मांगना पड़ेगा। अपनी मेहनत से लोग आज ऊंचे अधिकारी, व्यापारी, नेता, अभिनेता या राजा बने हैं। तोते की आंख की तरह अपने लक्ष्य को देखो और उस पर लग जाओ, फल अपने आप मिलेगा उसे कोई रोक नहीं सकता है। इसीलिए गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कर्मन्य वाधिका रस्ते मा फलेशु कदा चन। या की फिर सुदामा शबरी मीरा कुब्जा रहीम दास कबीर दास या तुलसीदास ही बन जाओ फिर तुम्हारा नाम भी अमर हो जाएगा।
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