प्रकृति भारतीय संस्कृति का आधार, जिसे आज संपूर्ण विश्व मान रहा:- मोहन सिंह अहलूवालिया।

Khoji NCR
2022-09-03 11:16:52

पुन्हाना, कृष्ण आर्य प्रकृति को भारतीय संस्कृति का आधार माना गया है। भारतीय संस्कृति के अनुरूप जहां जीव को परमात्मा का अंश माना गया है, वही पेड़ पौधों में देवताओं का वास माना गया है। भारतीय स

स्कृति में जीव जंतुओं व पेड़ पौधों को धर्म आधारित संज्ञा देकर जीवन का अहम हिस्सा बनाया गया है। जिससे इन सभी का पालन पोषण व संरक्षण हो सके। आज भारतीय संस्कृति को संपूर्ण विश्व आधार मानकर शोध कर रहा है और उसे अपना रहा है। उक्त बातें केंद्रीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य मोहन सिंह अहलूवालिया ने पुनहाना में भाजपा नेता अजय कंसल के आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहे। इस अवसर पर शहर के गणमान्य लोगों ने मोहन सिंह अहलूवालिया को पगड़ी बांधकर व पौधा भेंट कर उनका सम्मान किया। उन्होंने कहा कि आज विश्व के विकसित देश भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप मांसाहार को छोड़कर फिर से शाकाहार को अपनाने लगे हैं। भारतीय जीवन पद्धति में नित नए शोध कर उसे अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे अपनी संस्कृति से दूर जा रहे हैं, जरूरत है आज के समय में अपनी संस्कृति को जानने की। उन्होंने बताया कि हमारी संस्कृति में पीपल व गाय में देवताओं का वास माना गया है। इस मान्यता को हम लाखों-करोड़ों वर्ष से अपनाए हुए हैं। परंतु विश्व अपने शोध के आधार पर हमारी मान्यता को सच मानकर उसका अनुसरण कर रहा है। उन्होंने मेवात क्षेत्र के युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि वे शिक्षा पर विशेष ध्यान देकर अपने पैरों पर खड़े हो और विकास के लिए उद्योग धंधे स्थापित करें। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार लघु उद्योगों के लिए विशेष स्कीम के तहत ऋण उपलब्ध करा रही है। इस अवसर पर अनाज मंडी के पूर्व प्रधान मंगतराम कंसल, कपूरचंद गोयल, भाजपा मंडल अध्यक्ष खिलौनी राम, मनोज कंसल, संजय हिंदुस्तानी, हाजी इदरीश, पुनीत राजेश सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।

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