अंबाला शहर : हमने नए साल में कदम रख दिया है। वर्ष 2021 में हमारे कदम रखने से दो दिन पहले ही शहर की नई सरकार चुनी गई। जिले की रानी को मेयर की शक्ति तो मिल गई, लेकिन हाउस में किसी भी दल इस तरह से सीटें हा
िल नहीं हुई कि वो अपना सीनियर और डिप्टी मेयर बना सकें। 20 वार्डो में भाजपा को आठ, हरियाणा जनचेतना पार्टी को सात, कांग्रेस को तीन और हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट को दो सीटें हासिल हुई हैं। ऐसी स्थिति में सभी पार्षदों को साथ लेकर चलना और निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करना मेयर के लिए किसी चुनौती से कम साबित नहीं होने वाली। विकास कार्यो को लेकर भी पेंच फंसेगा ऐसा लोगों की जुबान पर अभी से है। हालांकि शक्तिरानी पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की धर्मपत्नी हैं और राजनीति में शर्मा की गिनती धुरंधर राजनेताओं में है, इसलिए संभव है कि हर तरह की मुश्किल में पार्टी मुखिया एवं उनके पति नैया पार करवा ही देंगे। शहर में वार्डो की बात करें, तो 20 में से 8 पर भाजपा के प्रत्याशी जीते हैं, जबकि एचजेपी के 7, कांग्रेस के दो व हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट (एचडीएफ) के दो प्रत्याशी ही जीते। ऐसे में राज्य सरकार या फिर सभी पार्षदों की सहमित से सीनियर व डिप्टी मेयर भी बनाया जा सकता है। हालांकि डिप्टी मेयर बनाना इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि आंकड़ा अधिक चाहिए। भाजपा भी सीनियर डिप्टी मेयर के समर्थन हो सकती है, क्योंकि मेयर दूसरी पार्टी का है। ऐसे में भाजपा चाहेगी कि उनके आठ पार्षदों में से किसी एक को सीनियर डिप्टी मेयर बना दिया जाए। लेकिन इस चुनाव मैदान में आजाद प्रत्याशियों को जनता ने नकार दिया है, इसलिए विनोद शर्मा की पार्टी को छोड़कर कांग्रेस के तीन और एचडीएफ के दो पार्षद हैं। भाजपा को इन पार्षदों में से भी कुछ का समर्थन लेना होगा, जिसके लिए पेंच फंसना तय है। नगर निगम ऐसा विभाग है जो जनता की मूलभूत सुविधाओं से सीधा जुड़ा हुआ है। अंबाला शहर की बात करें, तो डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन को लेकर हुए टेंडर में घोटाले की बू सामने आई और जनता शहर की सफाई व्यवस्था से खुश नहीं है। बेसहारा पशु लोगों की जान के लिए खतरा बन रहे हैं। बेसहारा पशुओं को पकड़ने की जिम्मेदारी भी सीधे तौर पर नगर निगम से ही जुड़ी है। इसी तरह नक्शे पास करना, जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र बनाना, आधार कार्ड बनाना, मुटेशन, सड़कों का निर्माण व मरम्मत, गंदे पानी की निकासी, स्ट्रीट लाइट लगाना आदि ऐसे कार्य हैं, जिससे जनता नाराज रहती है। कई मामलों में तो इन कामों को करवाने में पार्षद तक फेल रहे हैं। सीनियर और डिप्टी मेयर के लिए जोड़ तोड़ तेज नगर निगम अंबाला के चुनावों में बेशक जनता ने सीधा मतदान कर अपना मेयर तो चुन लिया, लेकिन अब सीनियर और डिप्टी मेयर का चुनाव चुने गए बीस पार्षद करेंगे। इसके लिए जब जोड़-तोड़ शुरू हो चुकी है, जबकि राजनीति के इस खेल में कौन सा मोहरा किस ओर बैठेगा, इसके लिए तिकड़म लगाया जाने लगा है। इसी तरह हाउस की मीटिग बुलाने के लिए जो संख्या बल चाहिए, वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हरियाणा जनचेतना पार्टी (हजपा) के पास तो है, लेकिन एजेंडा पास करवाने के लिए जो संख्या बल चाहिए, वह भी किसी के पास नहीं है। ऐसी स्थिति में कौन किससे हाथ मिलाता है, वह दिलचस्प होगा। दूसरी ओर नियमों की बात करें, तो एचजेपी का संख्या बल नगर निगम में एक तिहाई है। ऐसे में बैठक बुलाने के लिए कोरम तो पूरा है। लेकिन यदि एजेंडा पास करवाने की बात करें, तो इसके लिए एचजेपी स्वतंत्र नहीं है। अब इसी को लेकर हर पार्टी अपने स्तर पर जोड़तोड़ करने में जुट गई है। ऐसी स्थिति में पार्षदों को अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में जाना होगा। आने वाले कुछ दिनों में तस्वीर साफ हो जाएगी कि कौन सा पार्षद किस पाले में जाकर बैठकर खेल बिगाड़ेगा।
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