दिल्ली, कोरोना महामारी का खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा लोगों को आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी जा रही है। साथ ही कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लि
ए देशभर में बूस्टर डोज दिया जा रहा है। आसान शब्दों में कहें तो 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन की तीसरी डोज लगाया जा रही है। साथ ही बच्चों को भी वैक्सीन लगाई जा रही है। हालांकि, कोरोना वायरस से बच्चे कम संक्रमित हुए हैं। इस विषय को लेकर दुनियाभर में कई शोध किए गए हैं और कई शोध किए जा रहे हैं। इनमें एक नवीनतम शोध से खुलासा हुआ है कि वयस्कों की तुलना में बच्चे कोरोना से लड़ने में अधिक सक्षम हैं। इस विषय को लेकर शोधकर्ताओं ने तथ्य भी प्रस्तुत किए गए हैं। आइए, इस शोध के बारे में विस्तार से जानते हैं- क्या कहती है शोध PLOS Biology में छपी एक शोध में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस का प्रभाव बच्चों पर कम पड़ता है। आसान शब्दों में कहें तो वयस्कों की तुलना में बच्चे कोरोना वायरस से लड़ने में अधिक सक्षम हो सकते हैं। इस बारे में ऑस्ट्रेलिया स्थित क्वींसलैंड विश्वविद्यालय की डॉक्टर किर्स्टी शॉर्ट का कहना है कि बच्चों की इम्यून सिस्टम और नाक की परत कोविड -19 से लड़ने और संक्रमण को रोकने में अधिक प्रभावी साबित हुई है। बच्चों की नाक की परत संक्रमण को रोकने में सक्षम है। साथ ही उनमें एंटीवायरल प्रतिक्रिया भी अधिक रहती है। इसके अलावा, बच्चों में कोरोना के लक्षण भी कम देखे गए हैं। अगर बच्चा संक्रमित भी होता है, तो उनमें हल्के लक्षण देखे गए हैं। ऐसा क्यों है ? फ़िलहाल इसका कोई ठोस उत्तर नहीं है। इस विषय पर भी कई शोध किए जा रहे हैं। PLOS Biology में छपी शोध में 23 बच्चे और 15 वयस्कों को शामिल किया गया था। इस शोध में शामिल सभी लोगों के नाक की परत का सैंपल लिया गया। इसके परिणाम से खुलासा हुआ है कि बच्चों में एंटीवायरल प्रतिक्रिया बढ़ी रहती है। हालांकि, कोरोना के वैरिएंट बदलते रहते हैं। इसके लिए परिणाम में बदलाव देखा जा सकते हैं।
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