खोजी/नीलम कौर कालका। केंद्र सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध एक जुलाई से देशभर में लागू कर दिया गया है, जोकि स्वागत योग्य है। यह कहना है स्थानीय समाजसेविका कृष्णा राणा का। राणा क
मानना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध इसलिए बेहद जरूरी था, क्योंकि प्लास्टिक प्रदूषण में बड़ा योगदान रहा है। एक जुलाई से देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करते हुए 'सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त भारत' बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। दरअसल, सिंगल यूज प्लास्टिक प्रायः प्लास्टिक की ऐसी वस्तुएं होती हैं, जो केवल एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है। प्रतिबंध लागू होने के बाद राज्य सरकारों को बड़ा अभियान शुरू कर ऐसी वस्तुओं के निर्माण, वितरण, भंडारण और बिक्री से जुड़ी इकाइयों को बंद कराने की पहल सख्ती से करवानी होगी। सिंगल यूज प्लास्टिक 'स्वच्छ भारत अभियान' में भी सबसे बड़ी बाधा है। इस अभियान का लक्ष्य तभी हासिल हो सकेगा, जब नियमों को सख्ती से लागू कराने के प्रति केंद्र तथा राज्य सरकारें गम्भीर होंगी और लोगों को भी इस दिशा में जागरूक किया जाए। विशेषज्ञयों का कहना है कि प्लास्टिक की थैली केवल पांच सैकेंड में ही तैयार हो जाती है, लेकिन जिसे गलकर नष्ट होने में पांच सौ वर्ष लग जाते हैं। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण हर साल लाखों पशु और पक्षी मारे जाते हैं जोकि एक अत्यंत चिंताजनक पहलू है। चूंकि हम बचे खाद्य पदार्थों को पॉलीथिन में लपेट कर फेंक देते हैं, जो पशु उन्हें ऐसे ही खा लेते हैं जिससे जानवरों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, यहां तक कि उनकी मौत का कारण भी है। राणा की केंद्र तथा राज्य सरकारों से अनुरोध है कि प्लास्टिक प्रदूषण छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय यही है कि लोगों को इसके खतरों के प्रति सचेत और जागरूक करते हुए प्रतिबंध के नियमों को सख्ती से लागू करवाया जाए।
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