नई दिल्ली, अगर आप अपने दिल की सेहत को लेकर चिंतित हैं या फिर घर का कोई सदस्य दिल की बीमारी से पीड़ित है, तो ऐसे में सबसे मुश्किल हो जात है सही और हेल्दी खाना चुनना। यहां तक कि खाना पकाने के लिए किस
तरह का तेल इस्तेमाल करना चाहिए इसे लेकर भी ज़्यादातर लोगों को जानकारी नहीं होती है। अमेरिकन हेल्थ असोसिएशन की सलाह है कि ऐसे तेल का उपयोग करें जिसमें सैचुरेटेड फैट्स कम हों और मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीसैचुरेटेड फैट्स यानी गुड फैट्स की मात्रा ज़्यादा। ऐसा इसलिए क्योंकि गुड फैट्स ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करते हैं जिससे हार्ट की बीमारी और स्ट्रोक का ख़तरा कम होता है। ज़ैतून, कनोला, मूंगफली और तिल का तेल कुछ ऐसे तेल हैं जिनमें गुड फैट्स की अच्छी मात्रा होती है। ज़ैतून का तेल जिसे ऑलिव ऑयल भी कहा जाता है, खाना पकाने के लिए बेहद हेल्दी माना जाता है। ओलिव से निकलने वाले इस तेल में सैचुरेट्ड फैट्स की मात्रा बेहद कम होती है और ये गुड फैट्स से भरा होता है। इसमें मौजूद एंटीइंफ्लामेटरी गुण शरीर में सूजन को भी कम करते हैं। साथ ही इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण कई बीमारियों से बचाने का काम करते हैं। क्या ज़ैतून का तेल से बेहतर है नारियल का तेल? जैसे ज़ैतून का तेल ओलिव से निकाला जाता है, उसी तरह नारियल तेल नारियल से निकलता है। यह ट्रॉपिकल ऑयल है, जिसके सेहत से जुड़े कई फायदे हैं। रोगाणुरोधी से लेकर तेज़ी से वज़न घटाने तक, नारियल तेल कई मामलों में लाभदायक साबित हो सकता है। हालांकि, जब इसकी तुलना ज़ैतून के तेल के साथ की जाती है, तो नारियल का तेल कई मामलों में पीछे हो जाता है। खासतौर पर सेहत और पोषण के मामले में। नारियल के तेल में सैचुरेटेड फैट्स होते हैं, जो सेहत को नुकसान पुहंचाते हैं और दिल की बीमारी का ख़तरा भी बढ़ा देते हैं। नारियल या फिर ज़ैतून कौन-सा तेल है ज़्यादा हेल्दी? अगर बात करें दिल की सेहत की तो खाना बनाने के लिए ज़ैतून का तेल, नारियल और दूसरे तेलों से कहीं ज़्यादा हेल्दी है। यानी ज़ैतून का तेल बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। वहीं, नारियल तेल में सैचुरेटेड फैट्स का स्तर उच्च होता है, जो दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ाता है। मेडिटेरेनियन डाइट में ज़ैतून के तेल का इस्तेमाल ज़रूर किया जाता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज़ और कई तरह के कैसंर का जोखिम कम हो जाता है।
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