खोजी/नीलम कौर कालका/पिंजौर। इलाके में निरंतर बढ़ रहे नशा कारोबार पर काबू पाने के लिए कांग्रेस छात्र इकाई एनएसयूआई आरटीआई सेल के राष्ट्रीय कन्वीनर दीपांशु बंसल ने पुलिस अधिकारियों को तयबद्
ध तरीके के साथ सख्त कदम उठाने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि खानापूर्ति मात्र के लिए पर्चे दर्ज करने से नशा कारोबार पर काबू पाना असंभव है। इलाके में लगातार बढ़ रहे नशा कारोबार को पुलिस द्वारा उनकी मांग पर गठित की गई स्पेशल टीम द्वारा सख्त कदम उठाकर काबू पाया जा सकता है। उनका कहना है कि बार-बार विस्तृत जानकारी देने के बावजूद भी नशा कारोबारियों पर नकेल न कसा जाना बेहद चिंता का विषय है। आलम यह है कि हाईकोर्ट और प्रदेश सरकार द्वारा हुक्का बार्स पर प्रतिबंध होने के बावजूद निरंतर इलाके में नए कैफे तक खुल रहे है, ऐसे में किसके संरक्षण से नशा कारोबार बढ़ रहा है, यह जांच के साथ चिंता का विषय है। दीपांशु बंसल ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को इस मामले में गंभीरता से काम करना पड़ेगा।यदि इस मामले में केवल खानापूर्ति मात्र के लिए ही कार्य किया जाएगा तो इससे नशा कारोबारियों के हौसले बुलंद होंगे। दीपांशु बंसल ने यह भी बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने पहले भी गृह मंत्री अनिल विज को पत्र भेजा था जिसके बाद एसीपी कालका के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम भी गठित हुई, परंतु उसमे दी गई रिपोर्ट सिर्फ खानापूर्ति मात्र के लिए ही है। अब भी पिंजौर, कालका, दून, रायतन, मोरनी जैसे इलाकों में निरंतर नशा कारोबार बढ़ रहा है जिसे रोका जाना अति आवश्यक है। पुलिस द्वारा दीपांशु की मांग पर गठित हुई स्पेशल फोर्स की रिपोर्ट में नशा कारोबार को रोकने और कारोबारियों को पकड़ने के लिए इस बात से कहीं न कहीं पला झाड़ा गया है कि दीपांशु बंसल द्वारा नशा कारोबार को रोकने के लिए एसीपी कालका से हुई बैठक की जानकारी समाचार पत्रों के माध्यम से आमजन को मिली जिससे नशा कारोबारी सतर्क हो गए। जबकि सोशल मीडिया और अखबारों में एसीपी के कहने पर ही जानकारी सांझा हुई थी। दीपांशु ने कहा कि यह हास्यपद है कि पुलिस द्वारा की जाने वाली कार्यवाही से नशा कारोबारी सतर्क नही हुए जबकि उनके द्वारा मामले को उठाने से नशा कारोबारी सतर्क हो गए। दीपांशु का यह कहना है कि यदि समाचार पत्रों में खबर आने से नशा कारोबारी सतर्क होते है तो वह रोजाना खबर देंगे जिससे नशा कारोबार पर काबू पाया जाए, परंतु ऐसे में पुलिस की कार्यवाही पर सवालिया निशान खड़े होते है।
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