नई दिल्ली, यह वह महीना है जब वर्षा के देवता हम पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं और लगातार बारिश होती है। यह हिंदू समुदाय के लिए सबसे पवित्र महीनों में से एक है क्योंकि इस दौरान भक्त भगवान शिव की पूज
करते हैं और अपने जीवन में उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। इसे श्रावण का महीना भी कहा जाता है, जो शाकाहारी खाने से जुड़ा है, क्योंकि मांसाहारी भोजन नहीं किया जाता। घर पर नॉन-वेज खाने के बारे में विचार करने से भी हमारे बड़े बुर्जुग नाराज़ हो जाते हैं और यह एक ऐसी चीज़ है जिसका हम सभी आंख मूंदकर पालन करते आ रहे हैं। लकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस दौरान नॉन-वेज खाने की मनाही क्यों होती है? हिंदू धर्म के मुताबिक, इस महीने का हर दिन एक भगवान को समर्पित होता है और भक्तों के बीच महत्व रखता है। यही वजह है कि इस पूरे महीने को शुभ माना जाता है। उदाहरण के तौर पर सोमवार को शिवजी की पूजा की जाती है, मंगलवार को मंगला गौरी पूजा, तो बुधवार को लोग बुद्ध पूजा करते हैं। गुरुवार को बृहस्पति पूजा, शुक्रवार जरा जीवनिका पूजा और शनिवार को अश्वत्थ मारुति पूजा के लिए रखा गया है। इसके अलावा कई प्रमुख हिंदू त्योहार सावन में आते हैं जैसे तीज, कृष्ण जन्माष्टमी, रक्षा बंधन और नाग पंचमी। क्या हैं वैज्ञानिक वजह? सावन के महीने में हमारा शरीर कमज़ोर हो जाता है। मेटाबॉलिज़्म धीमा पड़ने से लेकर पाचन कमज़ोर, इन्फेक्शन का जोखिम बढ़ना और कमज़ोरी हो जाने तक, यह महीना कई तरह की शारीरिक समस्याओं से जुड़ा है। अगर इस दौरान नॉन-वेज खाना खाया जाता है, तो यह हमारे पूरे शरीर को प्रभावित करता है, जिससे संतुलन बिगड़ता है और हम बीमार पड़ने लगते हैं। यही वजह है कि लोगों को सावन में नॉन-वेज से दूरी बना लेनी चाहिए। प्रजनन का महीना सावन का महीना सभी जानवरों के लिए प्रजनन का मौसम माना जाता है, चाहे वह जलीय जीव हों या स्थलीय। आयुर्वेद क्या कहता है? आयुर्वेद के हिसाब से सावन के महीने में हमारी इम्यूनिटी कमज़ोर हो जाती है। इस दौरान नॉन-वेज, ऑयली या फिर मसालेदार खाना खाने से हमारी इम्यूनिटी के साथ-साथ पाचन क्रिया पर भी असर पड़ता है, क्योंकि इन चीज़ों को पचाना आसान नहीं है। यही वजह है कि आयुर्वेद कहता है कि इस दौरान हल्का भोजन करें ताकि वे आसानी से पच जाएं।
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