तावडू, 1 जुलाई (दिनेश कुमार): जिला उपायुक्त अजय कुमार ने बताया कि जिला में बाल मृत्यु दर में कमी लाने व डायरिया को नियंत्रित करने के उद्देश्य से बच्चों को ओआरएस घोल पिलाने और जिंक टेबलेट खिलाने
समेत स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए 1 जुलाई से डायरिया नियंत्रण पखवाडा की शुरूआत की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिला में डायरिया नियंत्रण पखवाडे को सफल बनाने व अतिसंवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने के लिए स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए है। उन्होंने कहा कि बाल्यावस्था में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में डायरिया का होना एक आम बात है। जिसके चलते कई बार बच्चे की मृत्यु भी हो जाती है। इस बीमारी का एकमात्र उपचार ओआरएस घोल एवं जिंक की गोली है जिसके माध्यम से बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी एवं उप सिविल सर्जन डॉक्टर बसंत दुबे ने उपरोक्त पूरे अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि बदलते मौसम के कारण वातावरण में गर्मी व उमस बढने से डायरिया यानी अतिसार का प्रकोप बढने की संभावना बनी रहती है। इन्ही कारणों को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग डायरिया नियंत्रण पखवाडा कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस कार्यक्रम के तहत जिला के सभी ग्रामीण व शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे पांच साल से छोटे बच्चों के अभिभावकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर ओआरएस का घोल और जिंक टैबलेट वितरित किए जाएंगे। डॉ सुरेन्द्र यादव ने बताया 15 जुलाई तक चलने वाले पखवाड़ा के तहत एएनएम, आशा वर्कर और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को ओआरएस घोल व जिंक की गोलियां वितरित करेंगी। उन्होंने कहा कि गरीब परिवारों के बच्चे स्वच्छता के अभाव में इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसलिए स्वास्थ्य विभाग खासतौर पर इन परिवारों में दस्त से पीडित बच्चों को ओआरएस घोल व जिंक की गोलियां देने के साथ उनके माता-पिता को स्वच्छताए पौष्टिक आहार एवं खाना खाने से पहले हाथ धोने के बारे में जागरूक करेगा।
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