लंदन, इस समय दुनियाभर में मंकीपाक्स का फैलता संक्रमण चिंता का कारण बना हुआ है। इसके निदान के लिए जारी शोध के क्रम में पाया गया है कि कुछ एंटीवायरल दवाएं रोग के लक्षणों में कमी लाने के साथ ही उसक
े संक्रमणकारी अवधि को भी कम कर सकती हैं। द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित एक शोधपत्र में अध्ययनकर्ताओं ने 2018 से 2021 के बीच ब्रिटेन में मंकीपाक्स संक्रमण के शिकार हुए सात रोगियों पर पूर्व में किए गए शोध का ब्योरा दिया है। उन्होंने बताया है कि दो एंटीवायरल दवाएं- ब्रिनसिडोफोविर तथा टेकोविरिमैट से इस रोग का इलाज में मददगार हो सकती हैं। अध्ययन के मुताबिक, ब्रिनसिडोफोविर के क्लीनिकल फायदे पाए जाने से प्रमाण मिले हैं, जबकि टेकोविरिमैट के बारे में अभी कुछ और शोध की जरूरत है। शोध के लेखक डाक्टर हग एडलर ने बताया कि लिवरपूल यूनिवर्सिटी हास्पिटल की एक टीम की रिपोर्ट में बताया गया है कि मांकीपाक्स वायरस ब्लड और गले के स्वैब में पाया गया है। फिलहाल यह समझ में नहीं आ रहा है कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका में मई 2022 में मंकीपाक्स फैलने का कारण क्या है। जो लोग इस रोग से पीड़ित हुए हैं, उनका न तो ट्रैवल हिस्ट्री और न ही पूर्व में ज्ञात कोई लिंक है। ऐसे में हमारा अध्ययन इंसानों में मंकीपाक्स के इलाज में एंटीवायरल के प्रयोग का पहला परीक्षण है। शुरुआत में तीन रोगियों को संक्रमण होने के बाद चकत्ते होने पर सात दिनों तक ब्रिनसिडोफोविर दिया गया। इससे लिवर के ब्लड टेस्ट में फर्क दिखा। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह तो पता नहीं कि ब्रिनसिडोफोविर की अलग-अलग डोज का क्लीनिकल परिणाम क्या रहा, लेकिन ये तीनों रोगी तथा एक अन्य रोगी पूरी तरह ठीक हो गए। मंकीपाक्स के ये तीनों मामले 2021 में ब्रिटेन में रिपोर्ट किए गए थे। एक का इलाज टेकोविरमैट से किया गया और पाया गया कि श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से में वायरस के लक्षण कम अवधि तक रहे। सभी रोगियों में संक्रमण कम रहा तथा किसी को गंभीर स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा। किसी को भी मंकीपाक्स के कारण न्यूमोनिया या सेप्सिस का सामना नहीं करना पड़ा। हालांकि एक रोगी में छह सप्ताह बाद हल्के लक्षण फिर से दिखे। इसलिए अभी कुछ और शोध की जरूरत है।
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