नई दिल्ली, कोरोना वायरस महामारी का तीसरा साल चल रहा है। इन सालों में हमें यह समझ आ गया है कि इस संक्रमण के लक्षण सभी में एक तरह के नहीं होते। जो भी शख्स इससे संक्रमित होता है, वह दूसरे से कुछ अलग ल
्षण ही महसूस करता है। कई लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें एक भी लक्षण परेशान नहीं करता, लेकिन वे टेस्ट में कोविड पॉज़ीटिव पाए जाते हैं। जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि जो लोग कोविड टेस्ट में एसिम्प्टोमैटिक पाए जाते हैं, वे इसके संचरण का एक संभावित स्रोत हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि एसिम्प्टोमैटिक लोगों को अक्सर किसी तरह के लक्षण या संकेत महसूस नहीं होते, लेकिन वे संक्रमण को उतने तेज़ी से ही फैला सकते हैं जितना कि सिम्प्टोमैटिक लोग। वैज्ञानिक और चिकित्सा पेशेवर अभी भी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि SARs-CoV-2 वायरस अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरह से क्यों प्रभावित करता है और कुछ में लक्षण क्यों विकसित होते हैं जबकि अन्य में नहीं होते हैं। क्यों कुछ लोगों में कोविड के लक्षण दिखते हैं और कुछ में नहीं? उम्रदराज़, पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित, कमज़ोर इम्यूनिटी और मोटापे से जूझ रहे लोगों में कोविड के लक्षण और उससे होने वाली गंभीर जटिलताओं के विकसित होने का ख़तरा अधिक होता है। लेकिन वहीं कुछ लोगों में एक भी लक्षण नहीं दिखता, ऐसा क्यों होता है? शोधकर्ता महामारी की शुरुआत से ही इस मामले पर रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। हालांकि, हाल के समय में कुछ थिएरी सामने आई हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसा या तो वायरस के प्रति शरीर की मज़बूत जन्मजात प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण होता है या फिर कुछ लोग कम वायरल लोड के संपर्क में आते हैं। एसिम्प्टोमैटिक कोविड संक्रमण के पीछे एक अन्य कारण उम्र माना जाता है। ऐसा देखा गया है कि युवा लोगों में वृद्ध लोगों की तुलना में ज़्यादा एसिम्प्टोमैटिक मामले दिखे जाते हैं। ड्यूक यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि छह से 13 वर्ष की आयु के बच्चों में एसिम्प्टोमैटिक मामलों की संख्या सबसे अधिक है। इसके पीछे एक सिद्धांत यह है कि युवा लोगों को सामान्य रूप से श्वसन संबंधी वायरल बीमारियां अधिक होती हैं, यही वजह है कि जब तक वे कोविड-19 से संक्रमित होते हैं, तब तक यह कम ख़तरनाक हो जाता है। इसके अलावा एसिम्प्टोमैटिक कोविड संक्रमणों के लिए कुछ आनुवंशिक विविधताओं को भी श्रेय दिया गया है। साथ ही अगर आपको पहले कोविड हो चुका है या फिर वैक्सीन की वजह से इम्यूनिटी मिली है तो एक्सपर्ट्स का मानना है कि आपको एसिम्प्टोमैटिक इंफेक्शन हो सकता है। इसे क्रॉस इम्यूनिटी भी कहा जाता है, जिसका मतलब है संक्रमण या टीकाकरण के माध्यम से वायरस के संपर्क में आना। कैसे पता लगाएं कि कहीं आप कोविड के एसिम्प्टोमैटिक कैरियर तो नहीं? यह पता लगाने का कोई विशेष तरीका नहीं है कि आपको एसिम्प्टोमैटिक संक्रमण है या नहीं। इसका पता सिर्फ कोविड के टेस्ट से पता चल सकता है। इस घातक वायरस के खिलाफ लड़ाई में कोविड परीक्षण एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम बन गया है। आरटी-पीसीआर या रैपिड एंटीजन टेस्ट शरीर में वायरस की उपस्थिति की पहचान करने में मदद कर सकता है। हालांकि, जब तक आप कोविड से जुड़े लक्षण महसूस नहीं करेंगे, तब तक टेस्ट भी नहीं करवाएंगे। इसलिए अगर आप किसी कोविड पॉज़ीटिव शख्स के संपर्क में आते हैं, तो खुद को आइसोलेट करें और फौरन टेस्ट करवाएं। जब तक आपकी रिपोर्ट नेगेटिव नहीं आती, खुद को दूसरों से दूर ही रखें। इन बातों का रखें ख्याल - चाहे आप सिम्प्टोमैटिक हों या एसिम्प्टोमैटिक या आपको संक्रमण हो ही नहीं, लेकिन फिर भी सतर्कता सबसे महत्वपूर्ण है। - मास्क पहनना संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका है, जिसके बाद आता है शारीरिक दूरी बनाना और हाथों की सफाई रखना। - वैक्सीनेशन भी ज़रूरी है, अपनी बारी आने पर इसे ज़रूर लगवाएं।
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