नई दिल्ली, हर साल 25 अप्रैल को दुनियाभर में विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को मलेरिया बुखार के बारे में जागरुक किया जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2021 के अन
सार, भारत में अभी भी दुनिया में मलेरिया के सबसे अधिक मामले देखे जाते हैं, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में देश में मामलों में गिरावट देखी गई है। आप जानते होंगे कि मलेरिया कुछ मच्छरों द्वारा किया जाने वाला एक परजीवी संक्रमण है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मलेरिया एक नहीं बल्कि 5 तरह का होता है। तो आइए जानें अलग-अलग तरह के मलेरिया और इससे बचने के तरीके। मलेरिया बुखार एक प्रकार का संक्रामक रोग है। यह मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है, जिसमें प्लास्मोडियम वाइवैक्स नामक प्रोटोज़ोअन होता है। मलेरिया बीमारी गर्मियों और बारिश के मौसम में ज़्यादा आम हो जाती है। मलेरिया के मच्छर ठहरे हुए और गंदे पानी में पैदा होते हैं, जबकि डेंगू का मच्छर ताज़े पानी में पैदा होता है। मलेरिया किसी को भी हो सकता है, और एक से ज़्यादा बार हो सकता है। ऐसी जगह जहां पानी का जमाव है, वहां मलेरिया होने की संभावना बढ़ जाती है। मलेरिया से कैसे संक्रमित होते हैं? मादा एनोफिलीज मच्छर के काटते ही प्लाजमोडियम नामक परजीवी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है और रोगी के शरीर में पहुंचते ही फैलना शुरू कर देता है। यह परजीवी लीवर और रक्त कोशिकाओं को संक्रमित कर व्यक्ति को बीमार कर देता है। सही समय पर इलाज न मिलने पर यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। मलेरिया को आम बुखार समझने की ग़लती नहीं करनी चाहिए। अगर सही समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। मलेरिया में मरीज़ को तेज़ बुख़ार और कंपकपी होती है। इस प्रकार के बुखार में एक पैटर्न देखने को मिलता है। बुखार आमतौर पर 24 से 48 घंटों के भीतर दिखना शुरू हो जाता है। इसका कारण यह है कि मलेरिया पैदा करने वाले परजीवी समय-समय पर रोगी के जिगर से रक्त में निकल जाते हैं, रक्त की कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं, वहां से एक प्रकार का विष बनाते हैं। जिसकी वजह से कंपकपी के साथ बुखार आता है। ऐसे होते हैं लक्षण: - तेज़ बुखार - ठंड लगना - सिर दर्द - शरीर दर्द - पसीना आना - मांसपेशियों में दर्द - उल्टी - बेचैनी - कमज़ोरी यह परजीवी ज्यादातर दिन में काटता है और लगभग 48 घंटों के बाद लक्षण दिखने लगते हैं। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को तेज बुखार के साथ सिर दर्द, कमर दर्द, हाथ-पैर में दर्द, भूख न लगना जैसे लक्षण दिखते हैं। अगर कोई व्यक्ति पी. फाल्सीपेरम से संक्रमित है, तो वह बेहोश हो सकता है। रोगी को बहुत ठंड लग सकती है, सिरदर्द भी हो सकता है, और उल्टी भी हो सकती है। अगर इसका उपचार न किया तो यह घातक साबित हो सकता है। मलेरिया अगर बिगड़ जाए, तो इसके कारण पीलिया या लीवर की समस्या, किडनी की समस्या, एनीमिया हो सकता है। प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम मलेरिया सबसे आम तरह का मलेरिया है, और इसके रोगियों में दुनिया भर में मलेरिया से होने वाली मौतों की संख्या सबसे अधिक है। प्लास्मोडियम ओवले मलेरिया, बिनाइन टरटियन मलेरिया का कारण बनता है और यह असामान्य है। बिना लक्षण दिखे यह व्यक्ति के जिगर में वर्षों तक रह सकता है। प्लास्मोडियम मलेरिया एक प्रकार का प्रोटोजोआ है जो एक अन्य प्रकार के बिनाइन मलेरिया के लिए ज़िम्मेदार है। इस प्रकार का मलेरिया प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम या प्लास्मोडियम वाइवैक्स जितना खतरनाक नहीं है। इस रोग में क्वार्टन मलेरिया होता है, जिसमें रोगी को हर चौथे दिन बुखार आता है। इसके अलावा, रोगी के पेशाब से प्रोटीन निकलने लगता है। जिससे मरीज के शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है, जिससे इंफ्लामेशन और सूजन हो जाती है। इस प्रकार का मलेरिया पूर्वी एशिया में पाया जाने वाला एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी है। इसमें मरीज को ठंड लगने के साथ बुखार भी होता है। लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, भूख न लगना और ठंड लगना शामिल है। मलेरिया से कैसे बचें मलेरिया से बचाव का सबसे अच्छा तरीका मच्छरों के काटने से खुद को बचाना है। अपने परिवार और खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं। संक्रमित मरीज को काटने वाला मच्छर अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट ले तो मलेरिया होने की संभावना बढ़ जाती है
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