डोरीलाल गोला मोक्षदा एकादशी के मौके पर शुक्रवार को गांव शेषसाई में स्थित भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण मंदिर में आसपास क्षेत्र के अलावा अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन कर
मन्नतें मांगी। मोक्षदा एकादशी पर मंदिर प्रांगण में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था। इस एकादशी के मौके पर मंदिर कमेटी की ओर से मंदिर को फूल-मालाओं से सजाया गया था। इसके अलावा तडके से ही मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं द्वारा भजन-किर्तन का भी आयोजन किया गया था। मंदिर में पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन करने के बाद भजन-किर्तन का आन्नंद लिया। शुक्रवार को मोक्षदा एकादशी के मौके पर शेषसाई में स्थित भगवान श्री लक्ष्मीनारायण के मंदिर में तडके चार बजे से ही महिला-पुरूष श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था। श्रद्धालुओं ने मंदिर के समक्ष स्थित क्षीर सागर में हाथ-पैर धोकर मंदिर में पहुंचकर भगवान श्री लक्ष्मीनारायण के दर्शन किए। मंदिर कमेटी ने इस एकादशी के अवसर पर मंदिर परिसर को फूल-मालाओं से तथा भगवान श्री लक्ष्मीनारायण को रंग-बिरंगी पोशाख पहनाई हुई थी। श्रद्धालुओं ने यहां भगवान के दर्शन करने के बाद उनकी पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगी। क्या है मोक्षदा एकादशी का महत्व:- मंदिर के महंत राजाराम गोस्वामी, बबली, भूदेव व सेवाराम ने बताया कि मोक्षदा एकादशी पितरों के लिए मोक्ष के द्वारा खोलने वाली एकादशी है। इस एकादशी पर जो भी श्रद्धालू व्रत रखता के उसके पितरों के लिए स्वर्ण के द्वारा खुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस एकादशी पर व्रत रखने से मनुष्य सभी पापों से भी मुक्त हो जाता है। इस एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण के मुख से श्रीमद भागवत गीता भी का भी जन्म हुआ था। उन्होंने बताया कि यह दिन जो भी मनुष्य सच्चे मन से भगवान की अराधना, पूजा-पाठ व व्रत करता है भगवान उसकी सभी मनोकामनाओं को पूरी करते है और उसके सभी कष्टों को दूर करते हैं।
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