नई दिल्ली रूस और यूक्रेन के बीच की जंग एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गई है जहां से किसी के भी पीछे हटने के फिलहाल कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। इस दौरान सीजफायर और लोगों को मानवीय आधार पर एक सुरक्षित क
ोरिडोर देने को लेकर हुई वार्ताओं का भी कोई खास असर होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। पिछले दिनों तुर्की में हुई दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बातचीत भी बिना नतीजा ही खत्म हो गई। वहींं अब ये जंग तीसरे सप्ताह में प्रवेश कर चुकी है। रूस की सेना कीव के नजदीक पहुंच चुकी है। कई शहरों पर उनका नियंत्रण हो चुका है। इस बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये जंग कैसे रुकेगी और उसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का भविष्य क्या होगा। जवाहरलाल नेहरू की प्रोफेसर अनुराधा शिनोए का मानना है कि अब तक हुई बातचीत में कुछ नतीजा तो निकला ही है। उनके मुताबिक रूस की मंशा केवल इतनी है कि यूक्रेन के किसी कदम से उसकी सुरक्षा को कोई खतरा नहीं होना चाहिए। वो मानती हैं कि फिलहाल युद्ध के माहौल में लोगों में देशप्रेम का जज्बा काफी उमड़ रहा है। ऐसे में राष्ट्रपति पर कोई सवाल भी नहीं उठाना पसंद करेगा। लेकिन एक दिन यूक्रेन को अपनी हार माननी होगी और रूस के आगे अपने घुटने टेकने ही होंगे। उस वक्त यूक्रेन के राष्ट्रपति से वहां की जनता ये सवाल जरूर करेगी कि आखिर इतना सबकुछ खोने के बाद ये क्यों किया। यदि रूस जो चाहता है उसको वो इस जंग और बातचीत से हासिल हो जाता है और वो जीत के बाद युद्ध समाप्ति और अपनी फौज को वापस भी कर लेता है तो वो वक्त राष्ट्रपति जेलेंस्की के लिए काफी खराब होगा। लोग उनसे इस बारे में सवाल जरूर करेंगे। ऐसे में उनके राजनीतिक करियर की बात करें तो वो पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। रूस उनके साथ किस तरह का व्यवहार करेगा फिलहाल कहपाना काफी मुश्किल है। यूक्रेन के राष्ट्रपति लगातार पुतिन से बातचीत की बात कह रहे हैं। हालांकि ये भी सच है कि वो अब भी अमेरिका के ही इशारे पर काम कर रहे हैं। आपको बता दें कि इस जंग में अब तक कई हजार लोग मारे गए हैं। वहीं यूक्रेन के पड़ोसी देशों में शरणार्थियों की संख्या 20 लाख को भी पार कर गई है।
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