खोजी/सुभाष कोहली कालका। एचएसआईडीसी इंडस्ट्रियल एस्टेट कालका में लगभग 80 औद्योगिक सहायक इकाइयां स्थापित हैं जिनके मालिक मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। समस्याओं की भरमार से कंपनी माल
कों के साथ-साथ उद्योगों से जुड़े लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय कंपनी मालिक राजीव जिंदल, जगप्रवेश बिंदल, तजिन्दर कौर, नेहा, राकेश जैन, सुनील ढींगरा, अंश जैन आदि का कहना है कि इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कों का हाल-बेहाल है। यहां की सड़कों में कई फुट लंबे व गहरे गड्ढे हो गए हैं। कई जगह तो ऐसी हैं, जहां सड़क बची ही नहीं है। बारिश होने पर ये सड़कें कीचड़ से भर जाती हैं। सफाई व्यवस्था बद से बदतर है, पिछले कई सालों से सफाई कर्मचारी दिखाई ही नहीं दिए। इंडस्ट्रीज में कार्यरत कर्मचारियों व उद्योगों से जुड़े लोगों को आने-जाने में बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। काफी लंबे अरसे से स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हुई है, केवल शोपीस बनकर ही रह गई हैं। कंपनी मालिकों में सामान चोरी होने का डर बना रहता है। रात के समय अंधेरा दुर्घटनाओं को न्योता दे रहा है, कई वाहन चालक हादसों का शिकार भी हो चुके हैं। बरसात के दिनों में सीवरेज भी ओवरफ्लो हो जाती है, गंदा पानी सड़कों पर बहने लगता है। कंपनी मालिकों का कहना है कि इंडस्ट्रियल एरिया में सैंकड़ों ट्रक रोजाना आते हैं, जिस कारण सड़कों में गड्ढ़ों का साइज दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। लगातार बारिश होने के बाद पूरा एरिया कीचड़ से भर जाता है, जिस कारण स्कूटर-बाइक चालकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। कंपनी मालिकों का सरकार पर आरोप है कि सरकार के खाते में हर माह लाखों का रेवेन्यू जा रहा है, परंतु इंडस्ट्रियल एरिया में सुविधाएं न के बराबर हैं। कंपनी मालिकों की सरकार से मांग है कि एचएसआईडीसी इंडस्ट्रियल एस्टेट कालका में उद्योगपतियों के साथ-साथ व्यापार से जुड़े लोगों को पेश आ रही समस्याओं का शीघ्र ही समाधान करवाया जाए। क्या कहना है नगर परिषद कालका के जेई सुभाष चंद्र का। इस सम्बंध में संवाददाता द्वारा पूछने पर नगर परिषद के जेई सुभाष चंद्र ने बताया कि एचएसआईसीडी की ओर से केवल पत्र ही भेजे गए थे। उनका कहना था कि एचएसआईसीडी को कोई अपना अधिकारी या कर्मचारी भेजकर पूरी डिटेल्स हैंडओवर करनी चाहिए थी, परंतु विभाग द्वारा ऐसा नहीं किया गया है। सुभाष चंद्र का आगे कहना है कि नगर परिषद में टेक्स भी जमा नहीं हो रहा है। इसी कारण अभी भी सभी कार्य एचएसआईसीडी के ही अधीन हैं। संवाददाता द्वारा एचएसआईसीडी कार्यालय में संपर्क करने के लिए दिनांक 10 मार्च 2022 को 5 बार फोन किया गया। 2 बार फोन मिला, रिंग जाने के बावजूद भी सम्बंधित अधिकारी ने बात नहीं की, फोन काट दिया गया।
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