खोजी/नीलम कौर कालका। भारत सरकार द्वारा जरूरतमदों के लिए कोई भी योजना शुरू की गई हो, सरकारी विभागों में बैठे सरकारी कर्मचारी व जमीनी स्तर के कार्यकर्ता उन योजनाओं का लाभ जरूरतमदों तक पहुंचने
ी नहीं देते। हर योजना का लाभ पढ़े लिखे अमीर लोग, सरकारी संस्थानों में बैठे लोगों के रिश्तेदार या मित्रगण, नगर निगमों/पालिकाओं/परिषदों/ग्राम पंचायतों में बैठे लोगों व उनके भाई-भतीजों को ही मिलता है। यह कहना है मिशन एकता समिति की प्रदेश महासचिव कृष्णा राणा का। राणा का कहना है कि बड़े-बड़े बंगलों में बैठे लोगों के गरीबी रेखा के कार्ड घर बैठे ही बन जाते हैं, किन्तु गरीबों व जरूरतमदों द्वारा बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने पर भी उनके गरीबी रेखा वाले राशन कार्ड नहीं बनाए जाते। सरकार की योजना के तहत केवल 1.80 लाख रुपये सालाना आमदनी वाले परिवार ही आयुष्मान योजना के अंतर्गत कवर हो सकते हैं। परंन्तु देखा जा रहा है कि कोठियों व बंगलों में रहने वाले लोग इस योजना का आनंद उठा रहे हैं। आज भी हैरानी इस बात की हो रही है कि अमीर लोगों, सरकारी कर्मचारियों, इनकम टैक्स भरने वालों के ’’आयुष्मान भारत’’ के कार्ड धड़ाधड़ उनके घर पहुंच रहे हैं, जबकि जरूरतमन्द, गरीब, किराए पर रहने वाले लोगों व गरीब ग्रामीणों को इस योजना से भी वंचित रखा जा रहा है। जब सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है तो विभाग में बैठे कर्मचारी किसे जरूरतमन्द मान रहे हैं। 2 से 3 लाख महीना कमाने वालों को या फिर 5 से 7 हजार रूपये मासिक वेतन लेने वालों को। कोठी, बंगलों में रहने वालों को या किराये के एक कमरे में रहने वाले मजबूरों को या फिर अपने नाते-रिश्तेदारों को ही जरूरतमन्द मानते हैं। गरीब व जरूरतमंद परिवार आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। ईमानदारी से जांच करवाने पर सारी सच्चाई अपने आप ही सामने आ जाएगी। राणा का सरकार से अनुरोध है कि गरीब, जरूरतमन्द शहरी व ग्रामीण लोगों के लिए जो भी योजनाएं शुरू करें, उन योजनाओं को जरूरतमन्दों तक पहुंचाना भी सुनिश्चित करें। योजनाओं का दुरूपयोग करने वाले कर्मचारियों व विभागों के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही करने का भी कानून बनाएं, तभी कुछ सुधार हो सकता है। वरना गरीबों की हर योजनाओं को अमीरों द्वारा इसी तरह से हाईजैक किया जाता रहेगा।
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