मरे हुए लोग भी कर रहे मजदूरी। बैंक से ले रहे भुगतान। पुनहाना कृष्ण आर्य उपमंडल के ग्राम बीसरू में मनरेगा के तहत हो रहे विकास कार्यों में फर्जी जॉबकार्डों का मामला प्रकाश में आया है। मामले क
पोल तब खुली, जब 3 साल पहले मरी हुई महिला का जॉब कार्ड विकास कार्य में लिप्त पाया गया और मौत के बाद महिला द्वारा जॉबकार्ड में कार्य दिखाकर बैंक खाते से मजदूरी का भुगतान भी किया गया। शिकायतकर्ता ने ठेकेदार, ग्राम सचिव, जेई व कॉपरेटिव बैंक के अधिकारियों पर सांठगांठ कर फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए मामले की विजिलेंस जांच की मांग की है। शिकायतकर्ता देवेंद्र कुमार पुत्र नेमचंद निवासी ग्राम बीसरू ने बताया कि गांव बीसरु में धड़ल्ले से मनरेगा के तहत विकास कार्य फर्जी जॉब कार्डों के सहारे चल रहे हैं। उसने बताया कि उसकी ताई देवकी पत्नी सुखाराम की मृत्यु 24 अप्रैल 2019 को हो गई थी। जिसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी उनके पास है। उन्होंने बताया कि गांव में हुए एक विकास कार्य में उसकी मृतक ताई देवकी का जॉब कार्ड लगाया गया है। जिसके अनुसार मौत के 2 साल बाद 9 नवंबर 2021 से 24 नवंबर 2021 तक मृतक देवकी को मजदूरी करते हुए दिखाया गया है और इस मजदूरी के बदले पिनगवां स्थित कॉपरेटिव बैंक से 5040 की मजदूरी का भुगतान भी किया गया है। शिकायतकर्ता ने बताया कि उनकी ताई देवकी पत्नी सुखराम का एक पुराना खाता पिनगवां की कोऑपरेटिव बैंक खुला हुआ था। जिसमें मौत के 2 साल बाद भी मजदूरी का भुगतान हुआ है। उन्होंने बताया कि फर्जी जॉब कार्ड के मामले में विकास कार्य करने वाले ठेकेदार, पंचायती विभाग के ग्राम सचिव, जे ई तथा अन्य अधिकारियों की खुली सांठगांठ है। जिसके चलते जहां मृतक महिला ने जॉब कार्ड के माध्यम से मजदूरी के बदले भुगतान भी कराया। शिकायतकर्ता देवेंद्र कुमार ने बताया कि उनकी ताई के अलावा उनका खुद का भी जॉब कार्ड बना हुआ है। जबकि उसने आज तक अपना जॉब कार्ड नहीं बनवाया है और वह खुद एक छात्र है। इसके अलावा परिवार के दर्जनभर सदस्यों के भी जॉब कार्ड बने हुए हैं, जिन्होंने ना तो आज तक अपना जॉब कार्ड बनवाया है और ना ही कोई मजदूरी की है। जबकि सबके फर्जी खाते कॉपरेटिव बैंक की शाखा में खुले हुए हैं। और उनसे मजदूरी का फर्जी भुगतान भी हो रहा है। शिकायतकर्ता देवेंद्र कुमार ने बताया कि उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखते हुए मामले की विजिलेंस जांच की मांग की है।
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