वाशिंगटन, कोरोना वायरस के सांस में रहने वाले सूक्ष्म कण नमी में लंबे समय तक बने रहते हैं। वह हवा में आधे घंटे तक सक्रिय रह सकते हैं और 200 फीट तक ऊपर जा सकते हैं। अमेरिका के एनर्जी पेसेफिक नार्थव
स्ट नेशनल लेबोरेट्री की जांच रिपोर्ट के अनुसार, लोग कोरोना से ऊपर से नीचे आती हवा से भी संक्रमित हो जाते हैं। साथ ही कुछ मिनट की दूरी पर स्थित कमरे में संक्रमित व्यक्ति से भी संक्रमण फैल सकता है। शोधकर्ता लियोनार्ड पीज के अनुसार संक्रमण के कारण नमी वाले वातावरण में संक्रमण तेजी से फैलता है। संक्रमित लोगों से हवा के जरिये कोरोना का संक्रमण तीस मिनट तक हवा में सक्रिय रह सकता है। पहले जैसा सोचा गया था उससे अधिक समय तक बोलते, खांसते या छींकते समय इंसान की ड्रापलेट्स हवा में बनी रह सकती हैं। इसलिए हवा से संक्रमण होने की गुंजाइश बढ़ गई है। इस शोध को 'जर्नल इंटरनेशनल कम्यूनिकेशंस इन हीट एंड मास ट्रांसफर' में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने म्यूकस (पस) का विश्लेषण करके पाया कि उसकी एक सूक्ष्म बूंंद भी नमी के कारण कुछ अरसे तक हवा में तैरती रहती है। इन बूंदों के कुछ माइक्रोन फेफड़ों में पहुंच जाते हैं और उसे तुरंत ही हवा सोख लेती है। तब वह हानिकारक नहीं रहते। लेकिन अगर इन बूंदों में पस रह जाए तो यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमण पहुंचाते हैं। इन ड्रापलेट्स के चारों ओर जब पस की परत चढ़ जाती है तो यह कोरोना के संक्रमण का कारण बनते हैं। चूंकी इन बूंदों में नमी रह जाती है और यह हवा में लंबे समय तक तैरती रहती हैं और आसपास आने वाले लोगों को संक्रमित कर देती हैं।
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