तावडू, 10 फरवरी (दिनेश कुमार): हरियाणा में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल लगभग 1 वर्ष पहले समाप्त हो गया था। लेकिन अभी तक पंचायत प्रतिनिधियों के लिए चुनाव नहीं हो पाया है। जिस कारण तावडू ग्रामी
ण क्षेत्र में विकास को ग्रहण लग गया है, वहीं शहर भी विकास की दौड में पीछे छूटता जा रहा है। अब क्षेत्रवासियों को मेवात में मुख्यमंत्री के आगमन पर तावडू के लिए विकास की गंगा बहने की उम्मीद तो जगी है। परंतु कुछ लोगों का मानना है कि जब 7 वर्षों में प्रदेश के मुख्यमंत्री तावडू क्षेत्र में नहीं आए तो अब विकास की गंगा कहां से बहा देंगे। क्षेत्र की मुख्य मांग तावडू को गुरूग्राम में मिलाने की बात अब भाजपा पदाधिकारी तो दूर कार्यकर्ता भी नहीं करते। जबकि भाजपा सरकार के बनने पर भाजपा प्रतिनिधियों का कहना था कि पहली कलम से तावडू को गुरूग्राम में मिलाया जाएगा। लेकिन 7 वर्ष बीत जाने पर भी तावडू की यह मांग पूरी नहीं हो पाई। जबकि तावडू क्षेत्रवासियों ने दोनों विधान सभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को अच्छे मतों से जिता कर भेजा। तावडू में न्यायिक परिसर नहीं होने के कारण क्षेत्र के लोगों को अभी भी न्यायालय से संबंधित कार्य के लिए जिला मुख्यालय नूंह जाना पड रहा है। तावडू को अगस्त 2015 में उपमंडल का दर्जा मिला, लेकिन अभी तक मिनी सचिवालय भी नहीं बन पाया। क्षेत्रवासी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं, वहीं भाजपा कार्यकर्ता यह कहते नहीं थकते कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के मेवात आगमन पर तावडू के लिए विकास की गंगा बहेगी। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सरपंच प्रदीप खटना ने कहा कि उनकी कांगे्रस सरकार ने तावडू को जिला गुरूग्राम में मिला दिया था। लेकिन सरकार का कार्यकाल समाप्त होने पर भाजपा सरकार के आने पर सरकार ने उस रेजुलेशन को पास नहीं दिया। अब क्षेत्र की जनता कांग्रेस की ओर निहार रही है। आगामी विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की जनता कांग्रेस को अपना मत देकर कांग्रेस प्रतिनिधियों को चुनेगी।
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