महापुरुषों के त्याग,तपस्या,संघर्ष के बारे में बच्चों को कराए अवगत: आचार्य ज्ञान बुजुर्गों का सदैव सम्मान करे: आचार्य माता पिता की सेवा के साथ दादा दादी की सेवा का भी रखे ध्यान :आचार्य ज्ञान भ
षण सोनू, वर्मा, ख़ोजी एनसीआर नूहं। बढ़ती पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए।अपने बच्चों को संस्कारवान बनाएं, जिससे की वो देश के गौरव व विकास में चार चांद लगा सकें ये विचार जैन मुनि वात्सल्य आचार्य 108 श्री ज्ञान भूषण जी महाराज रत्नाकर ने श्री दिगंबर जैन चंद्र प्रभु मंदिर नगीना के प्रांगण में मंगल प्रवचन करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि मंदिर जाने से पहले माता-पिता की चरण वंदना व पूजा करने के पश्चयात ही देव दर्शन करने के लिए जाना चाहिए तभी देव दर्शन करने का पूर्ण फल प्राप्त होगा। जन्म देने वाली माता पूज्नीय है तो भारत माता सदैव वंदनीय है दोनों एक दूसरे के पूरक (समान)हैं। आचार्य श्री ने कहा कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है। आज के समय में बदलता परिवेश चिंता व चिंतन का विषय है ।इसलिए बच्चों की दिनचर्या पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है,बच्चों में ऐसे संस्कार पैदा करें कि वे बुजुर्गों का मान सम्मान करे। माता पिता की सेवा के साथ-साथ दादा दादी की सेवा को जीवन के प्रथम लक्ष्य में सम्मिलित करें।क्योंकि आज जो जवान है वो एक दिन वृद्ध भी होगा।ये बात मनुष्य को अपने जीवन मे सदैव ध्यान रखनी चाहिए। ईश्वर भी तभी प्रसन्न होता है,तब अपने से बड़ो का मान सम्मान, आदर,सत्कार किया जाता है।उन्होंने कहा की बच्चों में देश भक्ति की भावना हमेशा उत्पन्न रखे।महापुरुषों के जीवन के त्याग, तपस्या,संघर्ष, परिश्रम के बारे में बच्चों को हमेशा स्मरण कराते रहे ।उनके जीवन दर्शन के बारे में बच्चों को बताएं, उनकी जन्मस्थली व कर्मस्थली के दर्शन भी कराएं ।मनुष्य को हमेशा दीन दुखियों की सेवा करनी चाहिए तथा उनकी सेवा का भाव सदैव मन में होना चाहिए ओर सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए। इस अवसर पर साध्वी माता जी ज्ञानवाणी,माता ज्ञानवर्षा जी, दीदी भारती, ब्रह्मचारी भैया अजित जैन जी,सामाजिक नेता व पूर्व अध्यक्ष रजत जैन, सुधीर जैन, महावीर जैन, राकेश जैन,अनिल जैन,राजकमल जैन,शुभ जैन,अनिल जैन मेडिकल,,समाजसेविका राधिका जैन,कमला देवी,मीना जैन,माया जैन,राजू जैन,राहुल जैन,सविता जैन,लक्ष्मी जैन,आदि उपस्थित रहे।
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