राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस आज, जानें उपभोक्ता हितों के संरक्षण के कानून

Khoji NCR
2020-12-24 09:07:23

नई दिल्‍ली । आज राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस है। यह दिवस हर उपभोक्ता को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक होने की प्रेरणा देता है। उपभोक्ता उस व्यक्ति को कहते हैं जो विभिन्न वस्तुओ

एवं सेवाओं का या तो उपभोग करता है अथवा उनको उपयोग में लाता है। वस्तुओं में उपभोक्ता वस्तुएं (गेहूं, आटा, नमक, चीनी, फल आदि) एवं स्थायी वस्तुएं (टेलीविजन, फ्रीज, टोस्टर, मिक्सर, साइकिल आदि) सम्मिलित हैं। इसके अलावा हम कुछ सेवाओं जैसे-बिजली, टेलीफोन, परिवहन, थियेटर आदि को भी हम क्रय करते हैं। इन सभी उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने दशकों पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 को सुधार कर इसकी जगह उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 को लागू किया है। इसमें उपभोक्ताओं के पक्ष में कई कदम उठाए गए हैं। यह उपभोक्ताओं को ज्यादा ताकत देता है। इसमें केंद्रीय नियामक का गठन, भ्रामक विज्ञापनों पर भारी जुर्माना और ई-कॉमर्स फर्मो और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बेचने वाली कंपनियों के लिए भी सख्त दिशा निर्देश शामिल हैं। अब कहीं से भी उपभोक्ता शिकायत दर्ज कर सकते हैं। पहले उपभोक्ता वहीं शिकायत दर्ज कर सकते थे, जहां विक्रेता अपनी सेवाएं देता है। ई-कॉमर्स के विस्तार को देखते हुए यह अच्छा कदम है। इसके अलावा कानून में उपभोक्ताओं को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये भी सुनवाई में शिरकत करने की इजाजत है। इससे उपभोक्ताओं का पैसा और समय दोनों बचेंगे। मैन्यूफैक्चरिंग में खामी या खराब सेवाओं से अगर किसी उपभोक्ता को नुकसान होता है तो उसे बनाने वाली कंपनी को हर्जाना भी देना होगा। जाहिर है उपभोक्ता संरक्षण कानून उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने के लिए बनाया गया है। हालांकि इसके बावजूद देश में उपभोक्ताओं को ठगने के नए-नए तरीके बाजार में देखने को मिल रहे हैं। आए दिन हम अपने आसपास कई लोगों को देख सकते हैं जो अपने घरेलू और रोजमर्रा के काम में आने वाले सामानों की गारंटी-वारंटी, बीमा और सíवसिंग के चक्कर में परेशान रहते हैं। कई बार अपने वाहन, स्वस्थ्य या जीवन बीमा का क्लेम लेना दुष्कर हो जाता है। इसी भांति वारंटी काल में उपकरण खराब हो गया तो उसे ठीक कराना या बदलवाना भी कई बार एक टेढ़ी खीर साबित होती है। अक्सर उपभोक्ता असहाय महसूस करते हैं। इससे निकलने के लिए उन्हें वारंटी सेवा की शर्तो को भलीभांति समझने और जागरूक होने की जरूरत है। बहरहाल सरकार ने उपभोक्ताओं को कंपनियों की इन शोषणकारी प्रवृत्तियों से बचाने के लिए नए कानून को अमलीजामा पहनाया जरूर है, मगर देखने की बात यह है कि ऑनलाइन के इस युग में उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा में यह कहां तक कारगर साबित होता है।

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