खोजी/नीलम कौर कालका। केंद्र सरकार की ओर से पेश बजट में महंगाई को कम करने के लिए कोई ठोस कदम न उठाए जाने पर निम्न वर्ग के साथ-साथ मध्यमवर्ग के लोगों को भी निराशा ही हाथ लगी है। यह कहना है मिशन एकत
समिति की प्रदेश महासचिव कृष्णा राणा का। राणा का कहना है कि 2022 का बजट जनता का गला घोंटने वाला, गरीब की जेब खाली, मध्यमवर्ग की जेब खाली, किसान की जेब खाली व युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेरा गया है। कोरोना महामारी के चलते आज करोड़ों युवा बेरोजगार हैं, लेकिन सरकार को किसी की फिक्र नहीं। महंगाई से पीड़ित जनता का कोई ध्यान नहीं रखा गया है। सरकार को तेल, आटा, चावल, दाल आदि के दामों में कटौती के लिए कोई प्रावधान रखना चाहिए था, जोकि नहीं किया गया। पेट्रोल पर जीएसटी नहीं हटाई गई। टैक्स स्लैब में कोई राहत न मिलने से मध्यमवर्ग को निराशा ही हाथ लगी। कोरोना काल के बाद मंदी की मार झेल रहे लघु उद्योग, छोटे कारोबारी तथा दुकानदार काफी समय से जीएसटी दरें कम होने की उम्मीद लगाए बैठे थे। ऐसे में जीएसटी की दरें कम करके आम जनता को राहत प्रदान की जा सकती थी। वरिष्ठ नागरिकों को सस्ते इलाज व सस्ती दवाओं की जरूरत थी। जबकि सरकारी कर्मचारी तथा मध्यमवर्गीय परिवार आयकर छूट की सीमा बढ़ने और महंगाई कम होने के सपने देख रहे थे। मगर देश के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले इन सभी वर्गों को आम बजट से खासी निराशा हाथ लगी है।
Comments