तावडू, 28 जनवरी (दिनेश कुमार): मनुष्य की जैसी निष्ठा और भाव होता है, सांईं बाबा भी उसी प्रकार उनकी सहायता करते है। बाबा कभी कभी तो भक्त की कठिन परीक्षा लेकर ही उसे उपदेश दिया करते है। मनुष्य के जीव
में दु:ख का आना बहुत जरूरी है। क्योंकि दु:ख में ही वह अपने इष्टदेव के सम्मुख आसु बहाता है। इसलिए मनुष्य को सुखी जीवन में भी इष्टदेव से दु:ख के प्रवेश की कामना करनी चाहिए। ताकि उन आंसुओं से मनुष्य के मन की बात उसके इष्टदेव तक पंहुच सके। शहर के वार्ड नम्बर 14 में स्थित श्रीसांई धाम मंदिर के पुजारी पंडित धर्मेन्द्र आचार्य ने शुक्रवार को श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए यह विचार रखे। उन्होंने कहा कि आज कलयुग का दौर चल रहा है हर कोई व्यक्ति बिना पूजा बिना भक्ति के परमात्मा से सब कुछ पाना चाहता है। आपके दरबार में वह शक्ति, दया व प्रेम है कि कोई कितना बुरा से बुरा इन्सान क्यों न हो उसके अन्दर परिवर्तन आ जाता है। जिस ईश्वर की हम तलाश कर रहे है, हे साईं नाथ वह आप ही है। क्योंकि आपने अपने साधारण रूप में कर्म की लीला करके सबको एक ही बात बताई थी। सबका मालिक एक है। आप स्वयं साक्षात ईश्वर है। यह प्रमाण आपके आगे दो कदम बढाने के बाद पता चल रहा है। इस अवसर पर अंजु शर्मा, गीता, कविता, मोना रानी, बबली व सुमन तनेजा आदि श्रद्धालु मौजूद थे।
Comments