गांव घागस में जल योद्धा राजूद्दीन व समाजसेवी सबीला जंग के आवास पर बैठक खोजी एनसीआर / साहून खांन भारत के कई शहरों में पेयजल के लिए उठानी पड़ेगी परेशानी नगीना के गांवों में विरासत स्वराज यात्र
में चलो अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत फोटो कैप्शन: विरासत सुराज यात्रा में चलो अभियान में बात रखते जल पुरुष राजेंद्र सिंह, साथ में अमेरिकी भूजल वैज्ञानिक श्रीविजय दत्ता रमन मैग्सेसे पुरस्कार व स्टॉकहोम नोबेल पुरस्कार विजेता जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि गंगा समेत सभी नदियों को संरक्षण के लिए केंद्र सरकार अपने स्तर पर बारिश के पानी की हरेक बूंद को सहेजने की योजना बनाए ताकि देश में जल बचाने के अभियान को बल मिले। वो बृहस्पतिवार को विरासत स्वराज यात्रा में चलो अभियान में सामाजिक कार्यकर्ता राजूद्दीन व सबीला जंग के आवास पर पहुंचे थे। यहां उन्होंने जलपान भी किया। उनके साथ अमेरिकी भूजल वैज्ञानिक श्रीविजय दत्ता भी मौजूद थे जिन्होंने मौके पर गांव में पानी की गुणवत्ता के जांच की। नगीना खंड के गांव घागस में पर्यावरणविद राजेंद्र सिंह ने एक बार फिर आगाह किया है कि 72 प्रतिशत से अधिक भूजल परतें सूख चुकी हैं इससे संकट इतना गहरा हो सकता है। लोग ऐसे देशों में शरण ले सकते हैं, जहां पर्याप्त मात्रा में पानी हो। उन्होंने बताया कि मेवात क्षेत्र के गांवों में खारा पानी है, जो खतरनाक मानकों को पार कर चुका हैं जिससे भविष्य में बच्चों को दांतों और आंतों की बीमारियां होंगी। आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए हमें आगे आना होगा। गांवों में बांध बनाकर वर्षा जल को रोकना है और रोजमर्रा की जिंदगी में पानी की बर्बादी नहीं करनी है। रमन मैग्ससे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह ने बताया कि पंचायतों के माध्यम से लोगों को व्यर्थ में पानी नहीं बहाने और जल का सदुपयोग करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देशवासियों को एकजुट होकर पानी बचाने की मुहिम में आगे बढ़कर कार्य करने की क्षमता रखनी होगी, जिससे देश का किसान आसानी से खेतीबाड़ी कर सकेगा और देश एक बार फिर से खुशहाल हो पाएगा। जल पुरुष ने कहा कि पानी को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल कई प्रमुख शहरों में पीने का पानी नहीं होगा। बता दें कि राजेन्द्र सिंह को वर्ष 2015 में जल संरक्षण एवं जन जागरुकता के लिए स्टॉकहोम जल पुरस्कार मिला था। जिसे जल का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है, इससे पहले सामुदायिक नेतृत्व के लिए 2011 में एशिया के नोबेल रेमन मैग्सेसे पुरस्कार भी दिया जा चुका है। मौके पर उनके साथ मेवाती जल पुरुष हाजी इब्राहिम खान के अलावा समाज सुधारक राजूद्दीन, समाजसेवी सबीला जंग, चौधरी फजर मोहम्मद कल्लू, खुर्शीद खान फौजी, भरतसिंह, जुम्मा राम चौकीदार, ईसब खान, अख्तर हुसैन, मंजूर इलाही, सोहराब नंबरदार, इदरीश, अकबर खान व तरुण भारत संघ निमली की टीम के सदस्य भी मौजूद रहे। Attachments area
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